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10 साल में 2.20 लाख लोगों ने छोड़ी भारत की नागरिकता : सुप्रियो भट्टाचार्य

jantaserishta.com
5 Nov 2024 2:46 AM GMT
10 साल में 2.20 लाख लोगों ने छोड़ी भारत की नागरिकता : सुप्रियो भट्टाचार्य
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रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान विभिन्न मुद्दों पर अपनी बात रखी।
झामुमो नेता ने कहा, “2014 से 2024 के बीच भारत में 2,20,000 लोगों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी और यह आंकड़ा सीधे विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय से लिया गया है। यह गंभीर मुद्दा है, क्योंकि यह दर्शाता है कि लोग अपने देश में असंतोष महसूस कर रहे हैं। संसद में जो बातें कही जाती हैं, उनमें सच्चाई की कमी है। यहां झूठ बोलने का कोई स्थान नहीं होना चाहिए, लेकिन वास्तविकता यह है कि कई वादे किए गए हैं जो पूरे नहीं हुए हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “सरकार ने कई बार सड़क चौड़ीकरण और उद्योगों के विकास का वादा किया है, लेकिन जमीन पर क्या हुआ? क्या वास्तव में कोई बदलाव आया है? झारखंड की स्थिति का आकलन करते हुए, आप यह पूछ रहे हैं कि क्या रोटी बेचने वालों को दी गई पांच एकड़ भूमि का कोई परिणाम निकला? जब सरकार हरियाणा में कहती है कि उसने एक महीने में लाखों युवाओं को नौकरी दी है, तो यह सवाल उठता है कि वह कहां है। अगर न तो कोई विज्ञापन निकला और न ही कोई आवेदन पत्र, तो नौकरी देने का वादा कैसे पूरा हुआ?”
उन्होंने कहा, “आपने देखा होगा कि जब प्रधानमंत्री कार्यक्रम में पहुंचे, तो वहां उपस्थित लोगों की संख्या तेजी से कम होने लगी। यह दर्शाता है कि लोग इन वादों से थक गए हैं और समझते हैं कि उन्हें धोखे में रखा जा रहा है। जब लोग सोचते हैं कि वोट देने का कोई मतलब नहीं, तो वे भाषण सुनने में क्यों दिलचस्पी लेंगे?”
उन्होंने कहा, “सरकार ने आदिवासियों के अधिकारों की बात की है। लेकिन, क्या वास्तव में उनके धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए कोई ठोस कदम उठाए गए हैं? महिलाओं के लिए 2025 तक 35 प्रतिशत आरक्षण का वादा किया गया था, लेकिन आज तक जनगणना का भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। यह महिलाओं का अपमान है, क्योंकि जो कानून पास किया गया है, उस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।”
उन्होंने कहा, “आपके पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का उल्लेख करते हुए, यह स्पष्ट होता है कि स्थानीय राजनीति में भी गहरी निराशा है। ये सभी बातें दर्शाती हैं कि सत्ता में बैठे लोग अपने वादों को निभाने में विफल रहे हैं, और इससे समाज में असंतोष बढ़ रहा है। यह एक महत्वपूर्ण समय है जब लोगों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने की जरूरत है और सच्चाई की मांग करनी चाहिए।”
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