छत्तीसगढ़

रायपुर: अवैध कारोबार में छुटभैय्या नेताओं का संरक्षण सबसे बड़ी बाधा

Janta se Rishta
16 Sep 2020 7:00 AM GMT
रायपुर: अवैध कारोबार में छुटभैय्या नेताओं का संरक्षण सबसे बड़ी बाधा
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आफताब फरिश्ता

जुआ-सट्टा और नशीली दवा के अवैध कारोबार के जद में राजधानी

जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी में बढ़ रहे अपराध पर अंकुश लगाने की पुलिस प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी सट्टा-जुआ, अवैध नशीली दवाओं का कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। राजधानी में पुलिस को गुंडे-बदमाशों के साथ सटोरियों और जुआरियों का फड़ लगाने वालों के साथ इन्हें संरक्षण देने वाले छुटभैया नेताओं से रोज जूझना पड़ता है। सामान्य तौर पर बड़े पुलिस अधिकारी और पुलिस के पुराने अधिकारी यह मानते है कि सारे अवैध कारोबार के पीछे राजनीतिक संरक्षण देने वालों का हाथ है, जिसके कारण राजधानी में सट्टा-जुआ और नशे के कारोबारियों पर हाथ डालते ही राजनीतिक दबाव बनना शुरू हो जाता है। पुलिस अपराध नियंत्रण करने के लिए तरह-तरह के प्रयोग करने के साथ जागरूकता अभियान भी चला कर देख चुकी है। लेकिन अवैध कारोबार की चुनौती कम नहीं हो रही। अवैध कारोबार में राजनीतिक संरक्षण ही पुलिस के काम में सबसे बड़ा बाधक है। राजधानी में अवैध कारोबार नशीली दवाई गांजा, चरस, सिरप के साथ सट्टा-जुआ ने सुनामी की तरह चपेट में ले लिया है। शहर का ऐसा कोई इलाका नहीं बचा है जो नशे और जुआ-सट्टा के जद में नहीं है। तूफानी रप्तार से नशीली दवाई का कारोबार और सट्टा और जुआ रायपुर में तीव्र गति के साथ नौनिहालों के साथ युवा पीढ़ी को मजबूती के साथ जकड़ लिया है। इस कारोबार की असल जड़ छूट भैया नेता है जो अपने राजनीतिक हित को साधने के लिए रातोरात करोड़पति बनने की लालच के चलते शहर को सट्टे और जुए और नशे के कारोबार में धकेल दिया है। पूरे शहर में कमोबेश हर गली मोहल्ले में अड्डों का संचालन या संरक्षण किसी ना किसी राजनीतिक पार्टी के छूट भैया नेता के अधीन होता है ।

सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि शहर के कर्ता-धर्ता और शहर के प्रतिनिधियों के संज्ञान में काले कारनामे होने के बाद भी राजनीतिक लाभ जुलूस, रैली जिंदाबाद-मुर्दाबाद के नारे लगवाने और भीड़ इकट्ठा करने की गरज के चलते संरक्षण देते है। और ये लोग संरक्षण के पावर का सट्टा-जुआ-नशीली दवाई के कारोबार में उपयोग करते है। इन बातों से छुटभैया नेता अज्ञान तो नहीं है, सारे बड़े नेताओं के समर्थकों में असामाजिक तत्वों भीड़ किसी से छुपी नहीं है। जिसका फायदा छूट भैया नेता उठाते है, वे अपने समर्थकों को अवैध कमाई की छूट को खुलकर समर्थन देते है जिससे यह धंधा तालाब में जलकुंभी की तरह फल-फूल रहा है। पुलिस पर राजनीतिक दबाव के कारण कार्रवाई नहीं होने का फायदा छुटभैया नेता उठाते है। गली-गली के गुड़े-बदमाशों, चाकूबाजों को संरक्षण देकर जुआ अड्डा चलवाने के साथ सट्टा लिखवाने के काम में लगा दिया है।

छुटभैया नेताओं का पुलिस पर लगातार दबाव

राजधानी में काले कारोबार का जाल पूरी तरह बिछ चुका है, सट्टा-जुआ, नशीली दवाई का कारोबार अबाध गति से फल-फूल रहा है। शहर की पुलिस किसी भी स्तर में अपने कानूनी अधिकार के अंतर्गत कार्य नहीं कर पा रही है, किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने पर पुलिस के ऊपर छूट भैया नेताओं के द्वारा भारी दबाव डाला जाता है, जिससे पुलिस अब कानून व्यवस्था के अलावा किसी और पक्ष की ओर ज्यादा ध्यान नहीं देती है। कोरोना काल में पूरे शहर में कहीं ना कहीं सट्टा और जुआ और नशे का कारोबार प्राय: हर एक-दो दिन की आड़ में अखबार में खबर छपने के उपरांत पुलिस के द्वारा संबंधित ठिकानों में दबिश देकर गिरफ्तारी की कार्रवाई की जाती है, लेकिन 2 दिन के बाद सब सामान्य उसी तरीके से चलने लगता है । सट्टा-जुआ, नशीली दवाई पर अंकुश लगाने हेतु और आने वाली पीढ़ी को बिगडऩे से बचाने हेतु सरकार जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने संकल्प लेकर अवैध और अनैतिक कारोबार के खात्मा के लिए नया कानून कड़े नियम के साथ लाना चाहिए जिससे आपराधिक तत्वों को पुलिस और कानून व्यवस्था का खौफ हो, तभी राजधानी में अमन-चैन बरकरार रह सकती है। रामसागर पारा की गली, स्टेशन रोड, पंडरी, मोवा, ताज नगर, राजा तालाब, शंकर नगर, तेलीबांधा, चांगोरा भाटा, टिकरापारा ,स्टेशन रोड, जेल रोड की ओर जाने वाली सड़क हर जगह पर आपको खुलेआम नशे का कारोबारी तथा सट्टा और जुए के अड्डेबाज भरपूर तादाद में उपलब्ध है लेकिन नेताओं की इच्छा शक्ति के आगे पुलिस प्रशासन और सरकार में बैठे नुमाइंदे कैसे इसको अंकुश लगाते हैं आगे यह देखना है।

आबकारी मंत्री लखमा के निर्देश पर 20 ढाबों और होटलों में दबिश

आबकारी मंत्री कवासी लखमा के निर्देश पर लॉक डाउन समाप्ति पश्चात के प्रदेश में होटल एवं ढाबे संचालित होना प्रारम्भ हो गए हैं। विभिन्न होटल एवं ढाबों में अवैध रूप से शराब की बिक्री एवं सेवन को रोकने के लिए आबकारी आयुक्त निरंजन दास तथा प्रबंध संचालक मार्केटिंग कारपोरेशन ए पी त्रिपाठी के निर्देशन पर राज्य स्तरीय उडऩदस्ता, संभागीय उडऩदस्ता तथा जिला रायपुर की टीमों ने अनेक ढाबों और होटलों की जांच की गई। जांच टीमों द्वारा सबेरा होटल, सांकरा; मीनू ढाबा सिलतरा; राजस्थानी ढाबा, धरसीवां; अन्नपूर्णा ढाबा, सड्डू; जी अम्बे ढाबा, सड्डू; हाईवे ढाबा, भूमिया; न्यू उमेश ढाबा, बेमता; ताज ढाबा, बेमता; रॉयल ढाबा, अवरेठी; ताज ढाबा, सिमगा; बलबीर ढाबा; ग्रीन लाइट ढाबा; प्रिंस ढाबा; बंटी ढाबा; राजू ढाबा; अन्ना पंजाबी ढाबा; पिंटू ढाबा; होटल खानसामा; रायपुर फैमिली ढाबा; खाना-कोठी होटल , सहित कुल 20 होटल/ढाबों की कल रात्रि जांच की गई। इस जांच का मुख्य उद्देश्य अवैध कारोबार न पनपने देने का था। 20 स्थानों में जांच पर कहीं भी अवैध मदिरा का विक्रय अथवा सेवन का मामला सामने नही आया। केवल एक स्थान पर बैठ कर मदिरा सेवन की पुष्टि होने पर नियमानुसार कार्यवाही कर प्रकरण कायम किया गया। यह कार्यवाही निरंतर जारी रहेगी तथा अन्य स्थानों और जिलों पर भी जांच की जाएगी ताकि अवैध मदिरा का विक्रय और सेवन को रोका जा सके।

शासन को क्या करना चाहिए

नशे के कारोबारियों और सट्टा औकर जुआ, हुक्काबार डांस पार्टी बार पर नकेल कसने के लिए कड़ा से कड़ा कानून जनप्रतिनिधियों और पुलिस अधिकारियों की कमेटी में सहमति बनाकर सदन में पेश कर पारित करना चाहिए । राज्य में कड़ा से कड़ा कानून लाना ही एक मात्र विकल्प है, जिससे आने वाली पीढ़ी नशे से डरे और कड़े कानून के कारण अवैध कारोबार से दूर रहे।

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