विशेषज्ञों ने शुरू किये टीके की जांच...'AstraZeneca' का टीका कितना सुरक्षित
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एस्ट्रजेनेका के टीके का परीक्षण आखिरी चरण में रोके जाने के बाद विशेषज्ञों ने इसका सुरक्षा विश्लेषण शुरू कर दिया है। परीक्षण रोकने का वैज्ञानिकों ने स्वागत किया है। वहीं अमेरिकी सीनेट में स्वास्थ्य संस्थान के निदेशक डॉ. फ्रांसिस कॉलिन्स ने बताया कि जांच विश्वसनीय ढंग से की जा रही है।
वैज्ञानिक परीक्षण में शामिल उस मरीज की पड़ताल करेंगे जिसकी डेड में सूजन की बात कही गई है उसे ट्रांसवर्स माइलाइटिस होने का अंदेशा है। विशेषज्ञों का बोर्ड रिपोर्ट देखेगा। टीका देने से पहले और देने के बाद लक्षणों में आए अंतर की तुलना के बाद बोर्ड निर्णय देगा कि सूजन संयोगवश है या टीके की प्रतिक्रिया से। इसके बाद परीक्षण जारी रखने, न रखने या फिर शुरू करने की तारीख का निर्णय होगा।
ट्रांसवर्स माइलाइटिस की पुष्टि अभी नहीं
एस्ट्रेजनेका की प्रवक्ता मिशेल मिक्सल के अनुसार, मरीज में ट्रांसवर्स माइलाइटिस की पुष्टि नहीं हुई है। विशेषज्ञों द्वारा जांच रिपोर्ट देखने के बाद कुछ कहा जा सकेगा। ट्रांसवर्स माइलाइटिस में दर्द, मांसपेशियों में कमजोरी पक्षाघात व पेशाब की थैली से जुड़ी समस्याएं होती हैं। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर फेलिसिया चाओ के अनुसार, इसे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता की प्रतिक्रिया से जोड़ा जाता है। कोविड-19 को भी कुछ मामलों में इसकी वजह माना गया।
यह भी जानिए
एस्ट्रजेनेका का टीका ऐसे हानिकारक वायरस से बना है जिससे चिंपांजी को सर्दी जुकाम होता है। इसे कोरोना वायरस के जीन वाहन करने के लिए तैयार किया गया।
लक्षण अन्य वजहों से संभव
ऑरेगन स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के टीका विशेषज्ञ मार्क स्लिफ्का का कहते हैं कि लक्षणों की वजह कुछ और भी हो सकती है। ब्रिटेन में टीके के दूसरे चरण का परीक्षण 10,000 लोगों में हुआ, कुछ बीमार हुए। बड़े समूह पर परीक्षण में दुष्प्रभाव आते हैं। लेकिन वजह टीका ही हो, ऐसा जरूरी नहीं।
पहले भी रुका परीक्षण
जुलाई में एक मरीज में न्यूरोलॉजिकल लक्षण मिलने पर इस टीके का परीक्षण कुछ समय के लिए रुका था। तब एक अन्य मरीज में ट्रांसवर्स माइलाइटिस के लक्षण मिले थे जो बाद में टीके से संबंधित न्यूरोलॉजिकल समस्या निकली। तब भी सुरक्षा का विश्लेषण करने और सहमति से मिलने पर परीक्षण आगे बढ़े।
कंपनी लेगी निर्णय
विशेषज्ञ समिति और अमेरिकी संस्था एफडीए की रिपोर्ट के बाद कंपनी परीक्षण का फैसला करेगी। येल विश्वविद्यालय की न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर सेरेना स्पूडिक के अनुसार, संभव है कि कंपनी मामले की फिर से जांच करवाए।