COVID-19

छत्तीसगढ़ में कोरोना काल के दौरान: इलाज के नाम पर मजाक...1.75 लाख लेकर बांट रहे सर्टिफिकेट

Janta se Rishta
7 Sep 2020 6:37 AM GMT
छत्तीसगढ़ में कोरोना काल के दौरान: इलाज के नाम पर मजाक...1.75 लाख लेकर बांट रहे सर्टिफिकेट
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लाख टके का सवाल, जब कोरोना का दवा ही नहीं तो मर्ज कैसे हो गया ठीक?

छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य सेवा का अजब-गजब कारनामा, सरकार करे गड़बड़ी की जांच

कैलाश यादव
रायपुर। विश्व का 11 वां आश्चर्यजनक कार्य चिकित्सा के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ में हो रहा है। सरकार उन पर गर्व करें या मातम मनाए, किसी के समझ में नहीं आ रहा है। जो काम पूरी दुनिया में नहीं हो पाया, वह छत्तीसगढ़ में आसानी से हो रहा है। पैसे लेकर कोरोना ठीक होने का सर्टिफिकेट बेच कर अनाप-शनाप कमाई कर डाक्टरों ने आपदा को अवसर बना लिया है। रोज सर्टिफिकेट बेचकर नोट पर नोट की छपाई कर रहे है। पूरे विश्व में कोरोना की बीमारी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. और छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवा विभाग कोरोना जैसे गंभीर बीमारी को लेकर बेपरवाह नजर आ रहा है। जिसका पूरे विश्व में कहीं इलाज नहीं है, लेकिन छत्तीसगढ़ के निजी अस्पताल के डाक्टरों ने तो हद ही पार दिया है। जिसकी दवाई नहीं उस मर्ज के मरीज से 1लाख 75 हजार देकर निगेटिव के साथ पूरी तरह स्वस्थ होने का सर्टिफिकेट जारी कर डाक्टरी पेशे के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। जिसे कलयुग में जनता भगवान कहती है, वह पूरी तरह शौतान का रूप ले लिया है। सिर्फ नोट की भूख मिटाने और एक के बाद एक अस्पताल का चैन शुरू करने के जुनून में इंसान तो नहीं बन पाया हां शौतान जरूर बन गया है।

हॉस्पिटल का लाइसेंस और डाक्टरों की डिग्री निरस्त करना चाहिए

छत्तीसगढ़ सरकार के सामने यह यक्ष प्रश्न खड़े हो गया है, आखिर करें तो क्या करें? जिस बीमारी की दवाई ही कोई मेडिकल साइंटिस्ट नही ंखोज पाया वह छत्तीसगढ़ के डाक्टरों के हाथों अलादीन की चिराग की तरह कैसे है लग गया। सरकार और स्वास्थ्य विभाग के गाइडलाइन के खिलाफ काम करने वाले कोरोना जैसे गंभीर बीमारी का खुलेआम मजाक उड़ाने वाले डाक्टरों के हॉस्पिटल का लाइसेंस और डाक्टरों की डिग्री निरस्त कर देनी चाहिए।

लाख टके का सवाल? जब कोई कोरोना का वैक्सीन ही नहीं तो…

कोरोना यानी एक सूत्रीय मौत का तांडव है, जो जनता को बेरहमी से मौत के मुंह में ढकेल रहा है, जब कोई कोरोना का वैक्सीन ही नहीं बनी है तो रायपुर के प्राइवेट हॉस्पिटल वाले किस बात का 175000, रुपए लेकर 10 दिनों तक इलाज कर रहे है और ठीक होने का सर्टिफिकेट बांट रहे है। कोरोना मरीज से पैसा किस इलाज का लेते है, यह मरीजों को आज तक समझ में नहीं आया? कौन सी गोली देते हैं और कौन सा इंजेक्शन देते हैं या कौन सी ऐसी दवाई देते हैं, जिससे कोरोना ठीक हो जाता है। सबसे चौकाने वाली बात यह है कि विश्व में कहीं भी कोरोना की दवाई नहीं बनी, तो रायपुर के प्राइवेट डॉक्टरों के पास दवाई कहां से उपलब्ध हो गई। दुनिया में जब कोरोना की दवाई बनी ही नहीं है तो किस आधार में रायपुर के हॉस्पिटल वाले कोरोना पॉजिटिव मरीज को नेगेटिव हो जाने का प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं ।

दस्तावेजों की तस्दीक कर सकती है सरकार

ये सारी जानकारी विगत एक माह में कोरोना से ठीक हुए मरीजों से जनता से रिश्ता ने उनके ठीक होने का रहस्य जानने की कोशिश कीहै जिसमें यह खुलासा हुआ है। मरीजों और उनके परिजनों से मुलाकात कर 10 दिनी टिटमेंट और दवाई के बारे उनसे बातचीत की,उसी आधार पर यह रिपोर्ट प्रस्तुत किया जा रहा है। यदि सरकार जांच करना चाहे तो जनता से रिश्ता कार्यालय में रखे दस्तावेजों की तस्दीक कर सकती है।

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