झारखंड

झारखंड में कोरोना संक्रमण दर घटते ही शुरू हो गयी लापरवाही, हो रही निर्देशों की अवहेलना

Renuka Sahu
29 Jan 2022 2:42 AM GMT
झारखंड में कोरोना संक्रमण दर घटते ही शुरू हो गयी लापरवाही, हो रही निर्देशों की अवहेलना
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फाइल फोटो 

राज्य में संक्रमण की रफ्तार में काफी कमी आई है। पिछले 15 दिनों में पॉजिटिविटी रेट में जहां 70 प्रतिशत की कमी आई है वहीं मरीजों की संख्या 78 प्रतिशत कम हो गई है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राज्य में संक्रमण की रफ्तार में काफी कमी आई है। पिछले 15 दिनों में पॉजिटिविटी रेट में जहां 70 प्रतिशत की कमी आई है वहीं मरीजों की संख्या 78 प्रतिशत कम हो गई है। लेकिन, इसके साथ ही राज्य में जांच की रफ्तार भी सुस्त हो गयी है। आंकड़ों की बात करें तो 15 दिन पहले 13 जनवरी को राज्य में 4000 मरीज मिले थे। पॉजिटिविटी रेट 5.82 प्रतिशत थी।

गुरुवार को मरीजों की संख्या घटकर 892 पर आ गयी, जबकि पॉजिटिविटी रेट महज 1.74 प्रतिशत पाई गयी है। वहीं जांच की बात करें तो राज्य में 12 जनवरी को 81608 और 13 जनवरी को 68667 सैंपल की जांच हुई थी, जबकि, बीते बुधवार को राज्य में 42600 और गुरुवार को 51016 सैंपल की जांच हुई। यह स्थिति तब है जबकि, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने सभी जिला के उपायुक्तों को लक्ष्य निर्धारित करते हुए राज्य में प्रतिदिन एक लाख जांच सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। इसमें 60000 आरटीपीसीआर (ट्रूनैट समेत) एवं 40 हजार रैपिट एंटिजेन टेस्ट किया जाना है।
लगातार गिरती जा रही जांच की रफ्तार
राज्य में जांच की रफ्तार लगातार कम होती जा रही है। स्टेट आईडीएसपी की रिपोर्ट के अनुसार 10 से 16 जनवरी के बीच राज्य में 4.70 लाख जांच की गई, जबकि, 17 से 23 जनवरी के बीच यह संख्या घटकर 4.29 लाख पर पहुंच गयी। बीते चार दिनों (24-27 जनवरी) में महज 2.12 लाख जांच की गयी है। यानी, 10 से 16 जनवरी के बीच राज्य में जहां प्रतिदिन औसतन 67151 जांच की जा रही थी, 17 से 23 जनवरी के बीच यह संख्या घटकर प्रतिदिन औसतन 61372 पर पहुंच गयी। जबकि, बीते चार दिनों (24-27) में प्रतिदिन औसतन महज 53032 जांच ही की जा सकती है।
कई जिलों में आरटीपीसीआर नगण्य
अपर मुख्य सचिव का स्पष्ट निर्देश है कि कोरोना पर काबू पाने के लिए टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट, आयसोलेट और वैक्सिनेशन का अनुपालन किया जाए। जांच में 60 प्रतिशत आरटीपीसीआर एवं 40 प्रतिशत रैट का अनुपात सुनिश्चित किया जाए। बावजूद इसके कई जिलों में तो संक्रमण की पहचान लगभग पूरी तरह रैट के भरोसे है। बुधवार को गोड्डा में महज 909 जांच की गयी, जिसमें 719 रैट से जबकि, महज 190 जांच ट्रूनैट से की गयी। गुरुवार शाम तक की रिपोर्ट के अनुसार जामताड़ा, खूंटी, कोडरमा, लातेहार, लोहरदगा और सरायकेला में आटीपीसीआर से 00, ट्रूनैट से महज 229 जबकि, रैट से 2807 सैंपलों की जांच की गयी।
रैट में सबसे कम पॉजिटिविटी
स्वास्थ्य विभाग की ओर से महज 40 प्रतिशत जांच की रैट के माध्यम से करने का निर्देश है। वह इसलिए कि रैट के माध्यम से जांच में पॉजिटिविटी सबसे कम है। रैट के माध्यम से कम वायरल लोड वाले मरीजों की पहचान नहीं हो पाती है। रैट से लगभग 10 गुना ज्यादा आरटीपीसीआर में और 18 गुना पॉजिटिविटी ट्रूनैट में पाई जाती है। राज्य में 14 जनवरी को संक्रमण जब पीक पर था, रैट की जांच में महज 1.19, आरटीपीसीआर में 9.51 और ट्रूनैट में 19 पॉजिटिविटी पाई गयी।
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