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अमित शाह का बड़ा बयान

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11 Oct 2022 9:32 AM GMT
अमित शाह का बड़ा बयान
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फाइल फोटो

छपरा (आईएएनएस)| केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती के मौके पर उनकी जन्मस्थली सिताबदियारा में कहा कि जेपी के ग्रामोत्थान, सहकारिता और सर्वोदय के सिद्धांत के आगे बढ़ाने के लिए नरेंद्र मोदी की सरकार ²ढसंकल्पित है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह सिताब दियारा में जेपी की जयंती के अवसर पर जेपी के स्मारक का उद्घाटन किया एवं उनकी आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया।
इस अवसर पर आयोजित विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए शाह ने युवाओं से महान लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जीवन से प्रेरणा लेते हुए देश के पुनर्निर्माण में सहयोग देने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल, केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय, अश्विनी चौबे, जयप्रभा राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं सांसद वीरेन्द्र मस्त सहित कई वरिष्ठ भाजपा नेता एवं यूपी सरकार के कई मंत्रीगण उपस्थित थे।
शाह ने कहा कि लोकनायक के कार्यों से समग्र राष्ट्र के युवाओं को प्रेरित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके जन्म स्थान पर उनकी आदमकद प्रतिमा और उनके नाम पर स्मारक बनाने का निर्णय लिया था जिसका संयोगवश उनकी जन्म जयंती के अवसर पर ही लोकार्पण हो रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जेपी का संपूर्ण जीवन अनेक मायनों में विशिष्ट रहा है। वे देश की आजादी के लिए क्रांति के रास्ते पर भी लड़े, महात्मा गाँधी जी के बताये रास्ते से भी लड़े और आजादी के बाद जब सत्ता में भागीदारी का समय आया तो वे एक सन्यासी की भांति सत्ता का परित्याग करते हुए आचार्य विनोबा भावे के सर्वोदय आंदोलन के साथ जुड़ कर जीवन भर भूमिहीनों, गरीबों, दलितों एवं पिछड़ों के कल्याण के लिए लड़ते रहे।
उन्होंने कहा कि जेपी ने समाजवाद, सर्वोदय की विचारधारा और जातिविहीन समाज की रचना की कल्पना की थी और इसके लिए जीवनपयर्ंत काम किया।
शाह ने कहा कि जब 70 के दशक में जब सत्ता में बैठी कांग्रेस सरकार ने भ्रष्टाचार की खुली लूट के लिए देश पर आपातकाल थोपा, तब जेपी ने इसके खिलाफ बहुत बड़ा आंदोलन किया। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ गुजरात के विद्यार्थियों के आंदोलन का नेतृत्व किया जिसके बल पर गुजरात में सत्ता परिवर्तन हुआ। उसके बाद बिहार में उनके नेतृत्व में आंदोलन शुरू हुआ। इंदिरा गाँधी ने देश पर आपातकाल थोप दिया। जेपी सहित विपक्ष के कई नेताओं को जेल में डाल दिया गया, उन्हें यातनाएं दी गई।
जब देश से आपातकाल का काला दौर खत्म हुआ तब जेपी ने पूरे विपक्ष को एक किया और इसका परिणाम यह हुआ कि देश में पहली बार एक गैर कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ। पहली बार जेपी ने जनसंघ को भी साथ में लिया और सत्ता से बाहर कर किस प्रकार परिवर्तन किया जा सकता है, उसका एक उत्कृष्ट उदाहरण उन्होंने प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार जेपी और आचार्य विनोबा भावे के सर्वोदय के सिद्धांत के अनुरूप ही अंत्योदय की अवधारणा पर गरीब कल्याण का अभियान शुरू किया है।
उन्होंने कहा कि जेपी के आंदोलन के कई लोग हैं जो पूरा जीवन जेपी और लोहिया जी का नाम लेते रहे लेकिन आज वे सत्ता के लिए कांग्रेस की गोद में बैठे हुए हैं। उन्होंने कहा कि जेपी ने जीवन भर सत्ता के लिए नहीं बल्कि सिद्धांतों के लिए लड़ाई लड़ी, लेकिन उनका नाम लेकर राजनीति में आने वाले लोग, सत्ता के लिए पांच-पांच वार पाला बदलने वाले लोग बिहार का मुख्यमंत्री बने बैठे हैं। बिहार की जनता को यह तय करना है कि उन्हें जेपी के दिखाए हुए रास्ते पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार चाहिए या फिर लोकनायक के बताये रास्ते से भटक कर सत्ता के लिए लालायित गठजोड़ करने वाली सरकार?
शाह ने कहा कि आने वाले दिनों में जेपी के सिद्धांतों युवा प्रेरणा लें, इसलिए उनका स्मारक बनाने का विचार प्रधानमंत्री ने लिया था। उन्होंने कहा कि यहां एक बहुत बड़ा रिसर्च सेंटर बनने वाला है, फैकल्टी के रहने की सुविधाएं भी बनेगी और विद्यार्थियों के लिए भी रिसर्च की सुविधा होगी।
उन्होंने कहा कि जेपी के ग्रामोत्थान, सहकारिता और सर्वोदय के सिद्धांत को हम आगे बढ़ाने के लिए कृतसंकल्पित हैं। यदि हम जेपी के सिद्धांतों से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ते रहें तो देश को विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता।
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