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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में नरसंहार का दंश झेलने वाले कश्मीरी पंडितों के संगठन यूथ फॉर पनुन कश्मीर ने भी अनुच्छेद 370 को लेकर संविधान बेंच में लंबित सुनवाई में खुद को पक्षकार बनाये जाने की मांग की है. संगठन ने अनुच्छेद 370 को हटाने के Central Governmentके फैसले का समर्थन किया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि अनुच्छेद 370 के चलते जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं और सिखों को आतंकवाद और पलायन झेलना पड़ा है. अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्से से अलग रखता है. ऐसे में अनुच्छेद 370 को हटाने का सरकार का फैसला पीड़ितों के जख्म पर मरहम लगाने जैसा है.
उल्लेखनीय है कि Supreme court जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर दो अगस्त को सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच सुनवाई करेगी. पांच सदस्यीय बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं. दो मार्च, 2020 के बाद इस मामले को पहली बार सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया है. Supreme court ने 2 मार्च, 2020 को अपने आदेश में कहा था कि इस मामले पर सुनवाई पांच जजों की बेंच ही करेगी. Supreme court की संविधान बेंच ने मामले को सात जजों की बेंच के समक्ष भेजने की मांग को खारिज कर दिया था. Supreme court में दायर याचिकाओं में कहा गया है कि अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद Central Governmentने कई कदम उठाए हैं. केंद्र ने राज्य के सभी विधानसभा सीटों के लिए एक परिसीमन आयोग बनाया है. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासियों के लिए भी भूमि खरीदने की अनुमति देने के लिए Jammu एंड कश्मीर डेवलपमेंट एक्ट में संशोधन किया गया है. याचिका में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर महिला आयोग, जम्मू-कश्मीर अकाउंटेबिलिटी कमीशन, राज्य उपभोक्ता आयोग और राज्य मानवाधिकार आयोग को बंद कर दिया गया है.
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