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आपके पास दिव्य अधिकार नहीं... प्रशांत किशोर ने गांधी फैमिली पर कसा तंज
jantaserishta.com
2 Dec 2021 8:31 AM GMT
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नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और कांग्रेस के बीच 'विकल्प' की लड़ाई में अब राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की एंट्री हो गई है. प्रशांत किशोर ने कांग्रेस नेतृत्व पर सीधे हमला बोलते हुए कहा है कि कांग्रेस पिछले 10 साल में अपने 90% चुनाव हारी है. ऐसे में विपक्ष का नेतृत्व कांग्रेस का दैवीय अधिकार नहीं हो सकता.
प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा, कांग्रेस मजबूत विपक्ष के लिए जिस विचार और विस्तार का प्रतिनिधित्व करती है, वह अहम है. लेकिन विपक्ष का नेतृत्व कांग्रेस का दैवीय अधिकार नहीं है, जब पार्टी पिछले 10 सालों में अपने 90% चुनाव हारती हो. लोकतांत्रिक तरीके से विपक्षी नेतृत्व को तय करने दें.
ममता VS कांग्रेस हुई लड़ाई
दरअसल, ममता बनर्जी 2024 लोकसभा चुनाव के लिए तैयारियों में जुट गई हैं. वे अलग-अलग राज्यों में पार्टियों के नेताओं से मिलकर भाजपा का विकल्प बनने की अपील कर रही हैं. ममता ने बुधवार को मुंबई में कहा था कि बीजेपी के खिलाफ राष्ट्रीय विकल्प तभी बन सकता है जब पार्टियां लड़ने को तैयार हों. विकल्प मजबूत होना चाहिए. यह अकेले नहीं किया जा सकता है.
ममता ने कांग्रेस पर साधा था निशाना
ममता ने कांग्रेस का नाम लिए बगैर कहा कि कोई लड़ नहीं सकता, तो हम क्या करें. हम चाहते हैं कि सभी पार्टियां लड़ें. ममता ने यह भी कहा कि अब यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) नहीं है और इसलिए सवाल ही नहीं उठता कि यूपीए का नेता कौन होगा? बता दें कि अभी यूपीए की नेता सोनिया गांधी हैं.
कांग्रेस ने किया पलटवार
यूपीए को लेकर दिए बयान के बाद कांग्रेस ममता बनर्जी पर हमलावर हो गई. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, दिग्विजय सिंह, कपिल सिब्बल, मल्लिकार्जुन खड़गे ने ममता बनर्जी और टीएमसी पर निशाना साधा. यहां तक कि अधीर रंजन चौधरी ने तो ममता पर भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगा दिया. चौधरी ने कहा, ममता पीएम मोदी की सलाह पर कांग्रेस को तोड़ने के लिए साजिश रच रही हैं.
The IDEA and SPACE that #Congress represents is vital for a strong opposition. But Congress' leadership is not the DIVINE RIGHT of an individual especially, when the party has lost more than 90% elections in last 10 years.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) December 2, 2021
Let opposition leadership be decided Democratically.
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