गगरेट। विधानसभा क्षेत्र गगरेट में स्वास्थ्य सेवाएं किस कद्र मृत शैय्या पर हैं इसकी बानगी तो देखिए। सिविल अस्पताल गगरेट में लंबे अरसे से एक्स-रे सेवा ठप है। व्यवस्था परिवर्तन का नारा देकर सत्ता संभालने वाली प्रदेश सरकार का एक वर्ष का कार्यकाल भी बीत गया लेकिन अभी तक अस्पताल की एक्स-रे सेवा में व्यवस्था …
गगरेट। विधानसभा क्षेत्र गगरेट में स्वास्थ्य सेवाएं किस कद्र मृत शैय्या पर हैं इसकी बानगी तो देखिए। सिविल अस्पताल गगरेट में लंबे अरसे से एक्स-रे सेवा ठप है। व्यवस्था परिवर्तन का नारा देकर सत्ता संभालने वाली प्रदेश सरकार का एक वर्ष का कार्यकाल भी बीत गया लेकिन अभी तक अस्पताल की एक्स-रे सेवा में व्यवस्था परिवर्तन देखने को नहीं मिला है। वह भी तब जब विधायक चैतन्य शर्मा गगरेट को ग्रेट बनाने का सपना लेकर आगे बढ़ रहे हैं तो उनके कार्यकाल के प्रमुख प्रकल्प ही शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार हैं। यहां रेडियोग्राफर की नियुक्ति करना इस कद्र मुश्किल कार्य हो गया जैसा मंगल ग्रह पर अंतरिक्षयान की साफ्ट लैंडिंग करवाना हो। रेडियोग्राफर की नियुक्ति न होने के चलते अस्पताल प्रशासन ने एक्स-रे सेवा क्रसना लैब के हवाले करने का भी प्रयत्न किया लेकिन अस्पताल प्रशासन भी इसमें सफल नहीं हो पाया। ऐसे में आपात स्थिति में पहले मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं।
मंहगे दाम पर एक्स-रे करवाने के लिए प्राइवेट एक्स-रे सेंटरों की धूल फांक रहे हैं। हैरत तो यह है कि करीब तीस लाख रुपए से अधिक पैसा खर्च करके मां चिंतपूर्णी मंदिर ट्रस्ट द्वारा यहां डिजीटल रेडियोलाजी सिस्टम भी स्थापित करवाया गया लेकिन इसकी स्थापना के बाद भी पहले तो इसका एक उपकरण खराब हो गया और फिर से मां चिंतपूर्णी मंदिर ट्रस्ट ने इसे ठीक करवाने के लिए पैसा खर्चा। कई सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में जहां रेडियोग्राफर उपलब्ध नहीं है वहां पर क्रसना लैब को इसका जिम्मा दिया गया है लेकिन यहां क्रसना लैब के हवाले डीआर सिस्टम क्यों नहीं हो पा रहा ये समझ से परे है। अगर सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में मरीजों को बेहतर प्राथमिक उपचार भी न मिल पाए और मरीजों को बाहर धक्के खाने पर विवश होना पड़े तो फिर इन स्वास्थ्य संस्थानों के संचालन का क्या लाभ। उधर इस संबंध में प्रतिक्रिया जानने के लिए बार-बार फोन करने पर भी खंड चिकित्सा अधिकारी ने फोन नहीं उठाया।