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WWF इंडिया ने कहा- अंधविश्वास के शिकार हैं भारत के उल्लू, 16 प्रजातियों की होती है तस्करी

Deepa Sahu
5 Aug 2021 9:47 AM GMT
WWF इंडिया ने कहा- अंधविश्वास के शिकार हैं भारत के उल्लू, 16 प्रजातियों की होती है तस्करी
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वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (WWF) इंडिया ने कहा कि उल्लुओं की ऐसी 16 प्रजातियों की पहचान की गयी है।

वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (WWF) इंडिया ने कहा कि उल्लुओं की ऐसी 16 प्रजातियों की पहचान की गयी है. जिनकी आमतौर पर भारत में तस्करी की जाती है. ये पक्षी अंधविश्वास और रीति रिवाजों की बलि चढ़ते हैं. उल्लुओं की इन प्रजातियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उनकी पहचान में मदद के लिए 'ट्रैफिक' और 'डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया' ने एक सूचनात्मक पोस्टर बनाया है जिसमें लिखा है 'अवैध वन्यजीव व्यापार से प्रभावित: भारत के उल्लू'.

ट्रैफिक एक संगठन है जो यह सुनिश्चित करने का काम करता है कि वन्यजीव व्यापार प्रकृति के संरक्षण के लिए खतरा न हो. उसने उल्लुओं की 16 प्रजातियों की पहचान की है जिनकी आम तौर पर भारत में तस्करी की जाती है. ट्रैफिक के भारत कार्यालय के प्रमुख डॉ. साकेत बडोला ने कहा, ''भारत में उल्लुओं का शिकार और तस्करी एक आकर्षक अवैध व्यापार बन गया है जो अंधविश्वास पर टिका है.''
अंधविश्वासों से पीड़ित
संगठनों ने कहा, ''भारत में उल्लू अंधविश्वासों और रीति रिवाजों के पीड़ित हैं जिनका प्रचार अकसर स्थानीय तांत्रिक करते हैं.'' उन्होंने बताया कि दुनियाभर में पायी जाने वाली उल्लुओं की तकरीबन 250 प्रजातियों में से करीब 36 प्रजातियां भारत में पायी जाती हैं. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया ने कहा कि कानूनी पाबंदियों के बावजूद हर साल सैकड़ों पक्षियों की अंधविश्वास, कुल देवता और वर्जनाओं से जुड़े रीति रिवाजों और अनुष्ठानों के लिए बलि दे दी जाती है. दिवाली के त्योहार के आसपास यह बढ़ जाती है.
लोगों में जागरुकता की कमी
साकेत बडोला ने कहा कि, "अवैध वन्यजीव व्यापार में उल्लुओं के बारे में जागरूकता की कमी और उन्हें पहचानने के लिए प्रवर्तन एजेंसियों की सीमित क्षमता ने इस अवैध गतिविधि का पता लगाना या उस पर अंकुश लगाना मुश्किल बना दिया है. हमें उम्मीद है कि हमारा नया पोस्टर इस अंतर को पाटने में मदद करेगा.


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