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वाह रे स्वास्थ्य विभाग: एक्सपायर दवाएं फेंकी गईं, गरीबों के हक में सिर्फ दुआ

jantaserishta.com
5 Feb 2022 9:08 AM GMT
वाह रे स्वास्थ्य विभाग: एक्सपायर दवाएं फेंकी गईं, गरीबों के हक में सिर्फ दुआ
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हमेशा दवाओं की कमी का रोना-रोने वाले स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से लाखों की दवाएं एक्सपायर हो गईं.

लोहरदगा: हमेशा दवाओं की कमी का रोना-रोने वाले झारखंड के स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से लाखों की दवाएं एक्सपायर हो गईं और कचरे के ढेर में फेंक दी गईं. ऐसा लोहरदगा जिले में में हुआ है. सदर अस्पताल परिसर में लाखों रुपये मूल्य की एक्सपायर दवाएं कूड़े की तरह फेंकी पायी गईं. ये दवाएं सिविल सर्जन कार्यालय से चंद कदमों के फासले पर पुरानी बिल्डिंग में मिलीं. जबकि सिविल सर्जन का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं है. हालांकि वह कह रहे हैं कि इसकी जांच कर दोषी पर कार्रवाई की जाएगी.

कचरे की तरह डंप की गई एक्सपायर दवाओं में कई दवाएं कीमती और जीवन रक्षक हैं. दवाएं साल 2020 और 2021 के अलग-अलग महीने में एक्सपायर हुई हैं. इनमें कुछ टॉनिक, कफ सिरप, बच्चों की दवाएं और एंटीबायोटिक भी हैं जिनका उपयोग कोविड काल में हो सकता था. जिले के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ की कमी है जिसकी वजह से स्वास्थ्य विभाग जितनी मात्रा में दवाएं मंगाता है उसका पूरा उपयोग नहीं हो पाता.
कचरे के ढेर में पाई गई दवाओं में अलप्रावीन 0.25 काफी मात्रा में है.जिसके एक पैकेट की कीमत 928 रुपए है. यह दवा दिसंबर 2020 में एक्सपायर हुई है. सेट्रिजिन सिरप, अमाक्सीसिलिन ओरल, नेमोरेंज सहित कई दवाएं डंप हैं. सिविल सर्जन से इस संबंध में सवाल पूछने के तुरंत बाद ही वहां से दवाओं का ढेर हटा दिया गया.
सिविल सर्जन ने मौके पर ही फार्मासिस्ट को बुलाकर पूछताछ की. रजिस्टर चेक किया. इसमें एक दवा की एंट्री नहीं थी. इस पर सीएस ने कहा कि यह दवा सदर अस्पताल की नहीं है तो कहां की हैं और यहां कैसे आईं इसकी भी पड़ताल होगी.
सिविल सर्जन ने कहा कि दवाएं उपयोग में नहीं आने पर एक्सपायर होती ही हैं. उन्हें एक्सपायरी दवाएं इस तरह फेंके जाने की जानकारी नहीं थी. इसकी जांच करेंगे. दोषी कर्मी पर कार्रवाई होगी. एक्सपायर होने वाली दवाओं के डिस्पोजल का एक सिस्टम होता है. इन्हें इस तरह फेंका नहीं जा सकता. कुल मिलाकर दवाओं के एक्सपायर होने से लेकर इनके इस तरह कूड़े के ढेर में फेंके जाने के मामले में स्वास्थ्य विभाग सवालों के घेरे में है. गहराई से जांच हो तो इस में लापरवाही और अनियमितता की कई परतें उजागर होंगी.
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