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जेल का नाम सुनते ही हर व्यक्ति के जेहन में सबसे पहले दुर्दांत अपराधियों की तस्वीर सामने आती हैं लेकिन यूपी का फ़तेहपुर जिला कारागार विचाराधीन कैदियो का भविष्य संवार रहा है.
साक्षरता मिशन के तहत जिला जेल में बंद करीब 325 विचाराधीन निरक्षर कैदियों को साक्षर बनाने की पहल की शुरुआत की गई है. इसके लिए 15 बंदी शिक्षक भी नियुक्त किये गए हैं. सभी बंदी शिक्षक को 25 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय भी दिया जा रहा है.
जेल अधीक्षक मोहम्मद अकरम खान ने बताया कि जेल में कुल 1716 पुरुष बंदी हैं. इसके अलावा 70 महिला बंदी और 11 बच्चे बंदी है. इनमें से 325 निरक्षर कैदियों को छांटा गया है. ये सभी कैदी निरक्षर है. इन्हें साक्षर बनाने के लिए 15 शिक्षित कैदी शिक्षक नियुक्त किये गए हैं.
बैरक के बरामदे को बनाया क्लास रूम
उन्होंने कहा कि बैरक के बरामदे को क्लास रूम बनाया गया है. यहीं पर ब्लैक बोर्ड लगाकर निरक्षर कैदियों को साक्षर बनाने के लिए प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से दो बजे तक कक्षाएं लगाई जाती है.
जेल अधीक्षक मोहम्मद अकरम खान के मुताबिक निरक्षर कैदियों की पढ़ाई-लिखाई में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की आपूर्ति के लिए फतेहपुर शहर की सामाजिक संस्था 'ट्रुथ मिशन स्कूल' एवं जेल कर्मियों से भी सहयोग लिया जा रहा है.
जेल अधीक्षक ने बताया कि पिछले तीन महीने से जेल में शिक्षा की पाठशाला चल रही है. इतने कम समय में निरक्षर बंदी आसानी से अखबार, हनुमान चालीसा, गीता, रामायण और कुरान का पाठ भी कर लेते हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षा के अभाव में व्यक्ति अपराध करता है. हमारी कोशिश होगी कि साक्षर होकर जेल से रिहा होने वाला कैदी समाज की मुख्य धारा से जुड़ेगा और उनके विचारों में परिवर्तन भी आएगा. इससे वह अपने जीवन यापन के लिए कोई भी रोजगार कर सकता है.
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