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केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के पैतृक गांव से चिंताजनक खबर, 30 लोगों की मौत फिर भी कई लोग कोरोना टेस्ट करवाने को राजी नहीं, सरपंच बोले...

jantaserishta.com
17 May 2021 4:49 AM GMT
केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के पैतृक गांव से चिंताजनक खबर, 30 लोगों की मौत फिर भी कई लोग कोरोना टेस्ट करवाने को राजी नहीं, सरपंच बोले...
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कोरोना वायरस की दूसरी लहर शहरों में तबाही मचाने के बाद अब ग्रामीण इलाकों का रुख कर रही है. उत्तर भारत के कई गांवों में अबतक ऐसे कई मामले सामने आ भी चुके हैं. इन्हीं में से एक गांव हरियाणा का बापोड़ा है, जहां पिछले 2 हफ्तों में ही 30 लोगों की जान चली गई है. ये केंद्रीय मंत्री वीके सिंह का पैतृक गांव है, लेकिन चिंता की बात ये है कि इतनी मौतों के बाद भी गांव में कई लोग कोरोना टेस्ट करवाने को राजी नहीं हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बापोड़ा गांव के सरपंच नरेश कुमार ने बताया कि दो हफ्ते में 30 लोगों की मौत से गांव में चिंता बढ़ने लगी है. उन्होंने कहा कि अभी तक कई लोगों में कोविड के लक्षण भी देखने को मिले हैं, लेकिन तीन लोग ही कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं.
जिन लोगों की मौत हुई है, उनको लेकर नरेश कुमार ने कहा कि उनको खांसी, बुखार जैसे कुछ लक्षण थे लेकिन किसी ने कोविड की जांच नहीं करवाई. ऐसे में मौत का कारण क्या है, ये कह पाना मुश्किल है. मृतकों में अधिकतर संख्या बुजुर्गों की थी.
अब भिवानी जिला के अधिकारियों द्वारा गांव में एक एम्बुलेंस लगाई गई है, इसी के जरिए ही गांववालों की स्क्रीनिंग की जा रही है. सरपंच नरेश कुमार के मुताबिक, गांव की आबादी 20 हजार के करीब है, साधारण तौर पर हफ्ते में एक-दो मौतें ही होती हैं लेकिन पिछले कुछ वक्त से हालात बेकाबू हैं.
जब एक दिन में हुई थी सात मौतें
सरपंच के मुताबिक, एक दिन में तो सात लोगों की जान चली गई, गांव का श्मशान घाट भी फुल हो गया था. उन्होंने कहा कि गांव में कई लोग हैं, जो टेस्ट करवाने को तैयार नहीं हैं. हालांकि, इसके बावजूद अब स्वास्थ्य विभाग ने टेस्टिंग को बढ़ाया है, बीते दिनों करीब डेढ़ सौ लोगों का रैंडम टेस्ट किया गया जिसमें से एक ही पॉजिटिव निकला.
आपको बता दें कि सिर्फ बापोड़ा ही नहीं बल्कि हरियाणा के कई गांवों में कोरोना का कहर देखने को मिला है, जहां कुछ ही वक्त में दर्जनों मौतें दर्ज की गई हैं जो सामान्य नहीं है. अब राज्य में विपक्ष ने सरकार से मांग की है कि गांवों के लिए अलग से टास्कफोर्स बनाई जाए और तेजी से टेस्टिंग, ट्रीटमेंट और वैक्सीनेशन पर ज़ोर दिया जाए.


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