र्होडोटोरुला : रोडोटुकला मेनिनजाइटिस और सीएमवी मेनेनिजाइटिस से ग्रस्त दो माह एक बच्चे के सफल इलाज का दावा किया है। मेडिकल रिकॉर्डस के मुताबिक यह दुनिया में सीएमवी मेनिंजाइटिस का दूसरा मामला है। जिसका बायोफायर यह सीएमवी साइटोमेगालोवायरस नामक वायरस के कारण मस्तिष्क की सतह के संक्रमण और सूजन के कारण होता है।
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष सिन्हा ने बताया की बच्चे को बुखार, चिड़चिड़ेपन और आंखों के उलटने की समस्या था। बच्चे को भर्ती कर शिशु की एमआरआई, सीएसएफ (सेरीब्रोस्पाइनल फ्लूड) समेत कई प्रकार की मेडिकल जांच की गई, जिससे इंफेक्शन सामने आया और पता चला कि शिशु मेजिंजाइटिस से ग्रस्त था।
शिशु को दौरे भी पड़ने लगे थे और उसकी अनियंत्रित अवस्था को देखते हुए उसे तत्काल ट्यूब के जरिए एंटीबायोटिक्स दी गई। क्लीनिकल स्तर पर शिशु की हालत में सुधार दिखाई देने लगा था और फीडिंग भी सही तरीके से करने लगा, लेकिन तेज बुखार ठीक नहीं हो रहा था।
उसे प्रतिदिन 3-4 बार बुखार आ रहा था, इसलिए दोबारा से सीएसएफ जांच की गई और बायोफायर जांच के लिए भेजा गया। जिसमे सीएमवी पॉजिटिव पाया गया। शिशु को गैन्सीक्लोविर का इंजेक्शन छह सप्ताह तक दिया गया। हालांकि, आईवी से गैन्सीक्लोविर दिए जाने के 10 दिन बाद भी बुखार कम नहीं हुआ।
सीएसएफ फगल कल्चर में रोडोटुरुला संक्रमण की मौजूदगी का पता चला जो दुनिया भर में पहली बार रिपोर्ट किया गया। बच्चे का शुरू में आईवी के जरिये एंटीबायोटिक्स और एंटीपीलेप्टिक्स के साथ इलाज किया गया । हालांकि, उसे बेहोशी के कई दौरे पड़े थे, जिसके लिए उसे वैकल्पिक रूप से इंटुवेटेड किया गया और मैकेनिकल वैटिलेशन और आईवी मिडाजोलम पर रखा गया।