भारत
विश्व पर्यावरण दिवस: पीएम नरेंद्र मोदी 'मिट्टी बचाओ आंदोलन' पर आयोजित कार्यक्रम को करेंगे संबोधित
jantaserishta.com
5 Jun 2022 5:20 AM GMT
x
न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर दिल्ली में 'मिट्टी बचाओ आंदोलन' कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे. इस दौरान पीएम मोदी मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार और जागरूकता को लेकर संबोधित भी करेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से ये जानकारी दी गई है.
पीएमओ की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि मिट्टी बचाओ आंदोल बिगड़ती मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसमें सुधार लाने के लिए एक वैश्विक पहल है. बयान में कहा गया है कि कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागीदारी भारत में मृदा स्वास्थ्य में सुधार के प्रति साझा चिंताओं और प्रतिबद्धता को दर्शाने का काम करेगी. बताया जा रहा है कि वैश्विक स्तर अपनाए जा रहे 'लाइफस्टाइल फॉर एन्वायरमेंट' को भी पीएम मोदी लॉन्च करेंगे.
'मिट्टी बचाओ अभियान' के 22 मार्च को 50 दिन पूरे हुए थे. यात्रा शुरू करने के दौरान सद्गुरु ने कहा था कि 52 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि पहले ही खराब हो चुकी है. दुनिया में मिट्टी के संकट पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है. सद्गुरु ने अपनी यात्रा के दौरान प्रत्येक देश में राजनेताओं, मिट्टी के विशेषज्ञों, नागरिकों, मीडियाकर्मियों और प्रभावकारी व्यक्तियों से मुलाकात की है. सद्गुरु ने इन मुलाकातों के दौरान मिट्टी के संकट से निपटने की तत्काल आवश्यकता के बारे में जागरूक किया है.
ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु की मिट्टी बचाओ अभियान के तहत मोटरसाइकिल यात्रा छह दिनों पहले भारत पहुंची. सद्गुरु की 'मिट्टी के लिए यात्रा' यूरोप, मध्य-एशिया और मध्य-पूर्व के बाद भारत के पश्चिमी तट पर पहुंची. सद्गुरु ओमान के सुल्तान काबूस बंदरगाह से तीन दिन में गुजरात में जामनगर बंदरगाह पहुंचे.
मिट्टी बचाओ अभियान का मुख्य मकसद हर देश पर नीतिगत सुधार के जरिये कृषि भूमि में कम से कम 3 से 6 प्रतिशत जैविक तत्व का होना जरूरी बनाए जाने के लिए दबाव डालना है. मृदा वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इस न्यूनतम जैविक तत्व के बिना मिट्टी की मृत्यु निश्चित है. इस घटना को 'मिट्टी का विलुप्त होना' कहा जा रहा है.
भारत में कृषि भूमि में औसत जैविक तत्व 0.68 प्रतिशत होने का अनुमान है. इस कारण मरुस्थलीकरण होने का बड़ा खतरा है. देश की लगभग 30 प्रतिशत उपजाऊ मिट्टी बंजर हो गई है और उपज देने में नाकाबिल है. ऐसा अनुमान है कि दुनिया भर में उपजाऊ जमीन का लगभग 25 प्रतिशत रेगिस्तान बन गया है. संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि इस दर से मिट्टी के खराब होने से धरती का 90 प्रतिशत 2050 तक रेगिस्तान में बदल जाएगा जिसमें बस 30 साल बचे हैं.
jantaserishta.com
Next Story