यूपी में होने वाला पंचायत चुनाव अपने रौ में दिख रहा है। चुनाव में उतरने की बेताबी भी गजब की दिखाई दे रही है। आजीवन शादी नहीं करने का प्रण करने वाले भी आननफानन सात फेरे ले रहे हैं। ऐसा ही मामला बलिया में दिखाई दिया है। आरक्षण ने कई लोगों को चुनाव लड़ने से पहले ही पटखनी दे दी है। बहुत लोगों की लंबे समय की समाजसेवा भी व्यर्थ चली गई है। बलिया के विकासखंड मुरलीछपरा के ग्राम पंचायत शिवपुर कर्ण छपरा एक प्रत्याशी ऐसे हैं जिनको आरक्षण भी मात नहीं दे पाया। लगभग एक दशक तक समाज सेवा करने के बाद ग्राम प्रधान बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए 45 वर्षीय हाथी सिंह ने अपनी पंचायत सीट महिला के लिए आरक्षित घोषित हो जाने के बाद तत्काल शादी कर ली है।
बलिया जिले के करन छपरा गांव के निवासी हाथी सिंह ने वर्ष 2015 में प्रधानी चुनाव लड़ा और केवल 57 वोटों से हार कर उपविजेता रहे। हाथी सिंह जिस सीट से इस बार जीत की उम्मीद लगाए थे, वह सीट महिलाओं के लिए आरक्षित घोषित कर दी गई है। इस कारण उनके निर्वाचित होने की उम्मीद भी टूट गई। इस पर उनके समर्थकों ने सुझाव दिया कि वह शादी कर लें तो उनकी पत्नी चुनाव लड़ सकती है। हाथी सिंह ने इस सुझाव पर अमल करते हुए शादी करने की ठान ली। पहले बिहार की अदालत में कोर्ट मैरिज की। इसके बाद 26 मार्च को गांव के धर्मनाथजी मंदिर में शादी कर ली। उन्होंने कहा कि 13 अप्रैल को नामांकन से पहले शादी करनी थी। इसलिए आननफानन शादी का आयोजन किया गया। बिना मुहूर्त ही ही उन्होंने शादी रचा ली। उनकी दुल्हन अभी स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रही है और अब ग्राम पंचायत चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।
26 मार्च को शादी रचाने के बाद अब शवपुर कर्ण छपरा पंचायत में चुनावी मैदान पूरी तरह सज चुका है। हाथी सिंह ने कहा कि वह पिछले पांच सालों से प्रधानी चुनाव जीतने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और उनके समर्थक भी प्रचार में पूरी तरह जुटे हैं। उन्होंने कहा कि मैंने जीवन में कभी शादी नहीं करने का फैसला किया था, लेकिन मेरे समर्थकों के कारण वह फैसला बदलना पड़ा। मेरी मां 80 साल की हैं और वह चुनाव नहीं लड़ सकती थीं। इस कारण भी शादी करने का फैसला लिया। अब निर्णय समाज के हाथ में है।