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22 अक्टूबर की शाम 4 बजकर 33 मिनट से धनतेरस पर त्रिपुष्कर योग का अद्भुत संयोग

Admin Delhi 1
22 Oct 2022 8:41 AM GMT
22 अक्टूबर की शाम 4 बजकर 33 मिनट से धनतेरस पर त्रिपुष्कर योग का अद्भुत संयोग
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मेरठ न्यूज़: कार्तिक त्रयोदशी यानि धन त्रियोदशी तिथि 22 अक्टूबर की शाम 4 बजकर 33 मिनट से आ रही हैं, जोकि 23 अक्टूबर शाम 5 बजकर 4 मिनट तक रहेगी। यानि की कार्तिक त्रयोदशी दो दिन 22 और 23 अक्टूबर दो दिन रहेगी। इसलिए धनतेरस का त्योहार भी दो दिन ही मनाया जाएगा। बता दें कि लक्ष्मी पूजन के पांच दिनी पर्व दीवाली की शुरुआत खरीदी के दो दिनी महामुहूर्त धनतेरस के साथ शनिवार को होगी। महामुहूर्त में रोशन बाजार में धन बरसेगा और हर ओर पंच पर्व का उल्लास छाएगा। पहले दिन प्रदोषकाल में सुख-समृद्धि के लिए लक्ष्मी व कुबेर का पूजन के साथ अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए प्रदोषकाल में दीप दान किया जाएगा। अगले दिन रविवार को सर्वार्थ व अमृत सिद्धि योग में मध्यान्ह काल में भगवान धनवंतरी का पूजन किया जाएगा। इस मौके पर आंगन में रंगोली सजेगी और दीये जलेंगे। ज्योतिषों के अनुसार दो दिन बन रहे खरीदारी के इस महामुहूर्त में सोना, चांदी, भूमि, भवन, वाहन, इलेक्ट्रानिक उपकरण की खरीदारी तीन गुणा लाभ देने वाली बन रही है। 23 अक्टूबर की शाम को प्रदोषकाल में रूप चतुर्दशी का दीपदान होगा जबकि अगले दिन 24 को सूर्योदय से पहले रूप सौंदर्य के लिए अभ्यंग्य स्नान किया जाएगा। शाम प्रदोषकाल में कार्तिक अमावस्या होने से इसी दिन महालक्ष्मी पूजन भी होगा। अगले दिन सूर्यग्रहण होने से 25 अक्टूबर को कोई त्योहार नहीं मनाया जाएगा। गोवर्धन पूजन 26 और भाईदूज 27 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

समुद्र मंथन में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए धनवंतरी: पहले दिन प्रदोषकाल में दीपदान के साथ लक्षमी-कुबेर का पूजन भी होगा। दूसरे दिन भगवान धनवंतरी का पूजन किया जाएगा। दोनों दिन की गई खरीदारी तीन गुणा फल प्रदान करेगी। इस दिन चांदी-पीतल के बर्तन, सोने-चांदी के सिक्के, गणेश व लक्षमी की प्रतिमाएं खरीदी जाती है।

रूप चतुर्दशी: अभ्यंग्य स्नान से निखरेगा सौंदर्य: पंच पर्व का दूसरा पर्व रूप चतुर्दशी पर रूप सौंदर्य के लिए सूर्योदय से पहले अभ्यंग्य स्नान किया जाएगा। चतुर्दशी तिथि 23 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 4 मिनट से लगेगी जो अगले दिन 24 अक्टूबर को शाम को 5 बजकर 27 मिनट तक रहेगी। शास्त्र मान्यता के अनुसार रूप चतुर्दशी तिथि जिस दिन सूर्योदय के समय रहती है उस दिन मनाई जाती है। इसके 24 अक्टूबर को सुबह रूप चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा। इस मौके पर सौंदर्य की कामना से भगवान कृष्ण के पूजन का भी विशेष महत्व है।

दीपावली: वैभव की कामना से होगा देवी महालक्ष्मी का पूजन: पंच पर्व का मुख्य पर्व दीपावली 24 अक्टूबर को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन होगा। इस अवसर पर सुख-समृद्धि और वैभव की कामना से मां लक्ष्मी का पूजन किया जाएगा। 24 अक्टूबर को अमावस्या तिथि शाम 5 बजकर 28 मिनट तक रहेगी। ज्योतिषाचार्य आलोक शर्मा ने बताया कि रात्रिकालीन अमावस्या में दीपावली मनाई जाती है। अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर को शाम को लग रही है लेकिन इस दिन लोग अपने कार्यालय, दफ्तर या अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में शुभ मुहूर्त में दिनभर लक्षमी पूजन कर सकते हैं। गोवर्धन पूजन 26 व भाईदूज 27 को इस बार दीपावली के अगले दिन सूर्यग्रहण के चलते 25 अक्टूबर को कोई त्योहार नहीं मनाया जाएगा। इसके चलते प्रतिपदा तिथि पर होना वाला गोवर्धन पूजन 26 अक्टूबर को होगी और मंदिरों में अन्नकूट महोत्सव के आयोजन होंगे। प्रतिपदा तिथि 25 अक्टूबर को शाम 4.18 से 26 को दोपहर 2.42 बजे तक रहेगी। उदयाकाल में गोबर के गोवर्धन बनाकर गोवर्धन पूजन किया जाएगा। भाई-बहन के स्नेह का पर्व भाई दूज इस वर्ष 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा। द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर को दोपहर 2.43 से 27 को दोपहर 12.45 बजे तक रहेगी।

ग्रहण के कारण 25 को कोई पर्व नहीं: सूर्यग्रहण का सूतक 24 अक्टूबर की रात 2.30 बजे लगेगा। ग्रहण का स्पर्श 25 अक्टूबर को दोपहर 2.28 व मध्य शाम 4.40 और मोक्ष (समाप्ति) शाम 6.32 बजे होगी। पर्वकाल चार घंटे चार मिनिट रहेगा। इसके चलते 25 अक्टूबर को कोई पर्व नहीं होगा। सूर्योस्त के बाद तक ग्रहण होने से अगले दिन 26 अक्टूबर को सूर्योदय के साथ सूतक समाप्त होगा।

खरीदारी के लिए चौघाड़ियानुसार आज मुहूर्त:

शुभ: सुबह 7 बजकर 50 मिनट से 9 बजकर 15 मिनट तक और रात 8 बजकर 55 मिनट से 10 बजकर 30 मिनट तक।

चल: दोपहर 12 बजकर 5 मिनट से 1 बजकर 30 मिनट तक।

लाभ: 1 बजकर 31 मिनट से 2 बजकर 55 मिनट तक और शाम 5 बजकर 45 से 7 बजकर 20 मिनट तक।

अमृत: दोपहर 2 बजकर 55 मिनट से 4 बजकर 20 मिनट और रात 10 बजकर 31 मिनट से 12 बजकर 5 मिनट तक।

भगवान धनवंतरी के पूजन का पर्व धनतेरस इस वर्ष 22 व 23 अक्टूबर को दो दिन मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य राहुल अग्रवाल के अनुसार कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी के दिन समुद्र मंथन में अमृत कलश लेकर भगवान धनवंतरी प्रकट हुए थे। त्रियोदशी तिथि शनिवार दोपहर 4 बजकर 33 बजे से रविवार की शाम 5 बजकर 4 मिनट तक रहेगी।

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