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पॉलिटिकल एजेंडा नहीं है महिला आरक्षण बिल : अमित शाह

Nilmani Pal
20 Sep 2023 12:40 PM GMT
पॉलिटिकल एजेंडा नहीं है महिला आरक्षण बिल : अमित शाह
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दिल्ली। लोकसभा में अमित शाह ने महिला आरक्षण बिल पर चर्चा करते हुए कहा कि इस बिल के जरिए एक तिहाई सीटें मातृशक्ति के लिए आरक्षित हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि इस देश की बेटी न केवल नीतियों के अंदर अपना हिस्सा पाएगी, बल्कि नीति निर्धारण में भी अपने पद को सुरक्षित करेगी. उन्होंने कहा कि कुछ पार्टियों के लिए ये बिल पॉलिटिकल एजेंडा हो सकता है, लेकिन मेरी पार्टी और मेरे नेता पीएम मोदी के लिए ये राजनीतिक मुद्दा नहीं है.

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पेटल ने कहा, विशेष सत्र में हम नए संसद भवन में प्रवेश कर चुके हैं. भारत सबसे बड़ी आबादी वाला देश है. इसमें से आधी आबादी महिलाओं की है. लेकिन लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं की आबादी चिंताजनक है. सरकार के तमाम सर्वेक्षण बताते हैं कि महिलाओं की आबादी लोकसभा और विधानसभा में काफी है. इसलिए महिला आरक्षण समय की जरूरत है. यह दुख की बात है कि यूएई और न्यूजीलैंड जैसे देशों ने अपने लोकतंत्र में महिलाओं की आबादी 50% तक सुनिश्चित कर ली है. ऐसे में ये कदम उस दिशा में काफी अहम है. पंचायती राज में महिलाओं को भागीदारी मिली, तो महिलाओं ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम करके दिखाया है. लोकतंत्र में महिलाओं को आगे लाना बहुत जरूरी है. ये बिल नया नहीं है, ये पुराना है. इसका इतिहास काफी पुराना है. सबसे पहले एचडी देवेगौड़ा की सरकार इसे लेकर आई थी. इसके बाद कई सरकारों ने प्रयास किया. 2003 में अटल जी की सरकार ने इसे लाने का प्रयास किया.

2010 में भी यूपीए सरकार ने इसे लाने की कोशिश की, लेकिन असफलता मिली. लेकिन इस बार मोदी सरकार इस बिल को लेकर आई है, हमें उम्मीद है कि इस बार हमें सफलता मिले. मैंने कई विपक्षी सांसदों को सुना कि एससी-एसटी और ओबीसी महिलाओं को इसमें शामिल किया जाए, ये मांग अनुचित नहीं है. महिलाओं अलग अलग पृष्ठभूमि से आती हैं ऐसे में उनका शिक्षा स्तर अलग अलग है. समाज को देखते हुए पिछड़े वर्ग से आने वाली महिलाएं ज्यादा हासिए पर हैं. मोदी सरकार के नेतृत्व में ओबीसी के हितों को साधने के लिए कई अहम फैसले हुए हैं. मुझे सहयोगी दलों के नाते भरोसा है कि पिछड़ी महिलाओं के हितों का ध्यान पीएम मोदी जरूर रखेंगे. मेरे मन में जिज्ञासा है कि 2010 में कांग्रेस ने इस बिल को पास कराया गया था, तब ओबीसी को आरक्षण का मुद्दा इसमें क्यों शामिल नहीं किया गया था. अब मोदी सरकार इस बिल को लेकर आई है, तो क्या ये ओबीसी को लेकर आपका ख्याल नया नया है. मैंने एक और बात देखी है कि मेरे कई साथियों ने कहा कि 2024 का चुनाव है, सर्वदलीय बैठक में हमारे कई सारे साथी महिला आरक्षण की मांग कर रहे थे, लेकिन अब अजीब सी स्थिति है. अगर सरकार अभी बिल लेकर नहीं आती तो आप महिला विरोधी सरकार बताते, लेकिन अब बिल लेकर आए हैं, तो आप कह रहे हैं कि चुनाव को देखकर फैसला लिया गया. हर फैसले को चुनाव से जोड़कर नहीं देख सकते. अगर कोई बिल पास कराना है, तो इसकी एक प्रक्रिया होती है, इसका पालन करना होता है. हमारे पास जनगणना के आंकड़े पुराने हैं, इसलिए हमें संविधानिक प्रक्रिया का पालन करना होगा. इसके बाद एडिशनल सीट ऐड हो सकती हैं.

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