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करनाल की महिलाओं को बजट से काफी उम्मीदें, सरकार से की ये मांग

Nilmani Pal
1 Feb 2025 2:05 AM GMT
करनाल की महिलाओं को बजट से काफी उम्मीदें, सरकार से की ये मांग
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करनाल। साल 2025 के केंद्रीय बजट को लेकर हर कोई उम्मीद बांधे बैठा हुआ है। इसमें मध्यम वर्ग, किसान, छात्र, गृहणी, महिला और छोटे व्यवसायी शामिल हैं। करनाल की एक महिला पूजा ने कहा कि हम सरकार से उम्मीद रखते हैं कि सरकार चीनी, दाल, आटा का दाम करे और हम लोगों को राहत दे। टैक्स स्लैब भी बढ़ाया जाए, ताकि हम लोग टैक्स से बच सकें। एक महिला होने के नाते मैं यही चाहूंगी कि रोजमर्रा की चीजों का दाम कम होना चाहिए। सरकार से अपेक्षा है कि बजट में महिलाओं और गरीबों के लिए विशेष छूट की घोषणा हो, ताकि लोगों को राहत मिल सके।

वहीं, ममता ने कहा कि छात्रों के हित में सरकार को कदम उठाना चाहिए। सरकार बजट में हम लोगों का ध्यान रखे। वर्तमान समय में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दे बहुत महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में बजट के जरिए इन मुद्दों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। बजट में विशेष योजनाओं की घोषणा होनी चाहिए, जिससे शिक्षा में गुणवत्ता को बढ़ावा मिले। गृहणी मंजू ने कहा कि केंद्रीय बजट से आम आदमी को काफी उम्मीदें है। महंगाई इतनी तेजी से बढ़ रही है कि इसे कंट्रोल करना जरूरी है। हमारी बुनियादी जरूरतों के सामान जैसे गैस सिलेंडर और खाद्य सामग्री के दामों में कमी होनी चाहिए, ताकि ये चीजें आम आदमी के बजट में आ सकें।

मंजू ने आगे कहा, अगर महंगाई इसी रफ्तार से बढ़ती रही, तो लोग इन जरूरी चीजों को खरीदने में सक्षम नहीं होंगे। हमारी आय के संसाधन तो नहीं बढ़ रहे हैं, और रोजगार के अवसर भी सीमित हैं। अगर महंगाई पर काबू नहीं पाया गया, तो आम आदमी की जिंदगी और भी कठिन हो जाएगी।

एक महिला दिव्या ने कहा कि महंगाई इतनी तेजी से बढ़ रही है कि अब हमें हर महीने अपनी रोजमर्रा की जरूरतों की चीजें लेने में दिक्कत हो रही है। आलू, प्याज जैसे बुनियादी खाद्य पदार्थ भी बहुत महंगे हो गए हैं। अब ये सामान भी आम आदमी की पहुंच से बाहर होते जा रहे हैं। महंगाई की दर इतनी तेज़ी से बढ़ रही है कि अब यह हमारी जेब पर भारी पड़ने लगी है। इसके अलावा सैलरी में उतनी बढ़ोतरी नहीं हो रही, जितनी महंगाई बढ़ रही है। जिससे एक सामान्य परिवार के लिए खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। बच्चों की स्कूल फीस हर साल बढ़ रही है, और ये बढ़ोतरी इतनी ज्यादा है कि इसे देना मुश्किल हो रहा है।

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