दिल्ली। शाहखर्ची (ठाठ-बाठ) ने पत्नी को कम गुजारा भत्ता देने वाले पति की पोल भरी अदालत में खोल दी। महंगी कार में सैर और आलीशान होटलों में खाना खाते पति की तस्वीरों को अलग रह रही पत्नी ने दिल्ली हाईकोर्ट में पेश किया। इसके बाद अदालत ने मामूली कमाई का दावा करने वाले पति को ज्यादा गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया। जस्टिस अमित महाजन की बेंच ने पत्नी द्वारा पेश तस्वीरों के आधार पर माना कि वैवाहिक विवाद के मामलों में यह सामान्य प्रवृति बन गई है कि पति वास्तविक आय का खुलासा नहीं करता। परिवार का हिस्सा होने के बाद भी खुद को बेदखल करार देता है। बेंच ने सवाल किया कि महंगी कार का इस्तेमाल और महंगे होटल में खाना खा सकते हो तो उचित गुजाराभत्ता देने में आनाकानी क्यों?
बेंच ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि भरण-पोषण का मतलब केवल जीवित रहना नहीं है। वह उसी तरह जीवन जीने की हकदार है जैसे पति के घर में रहती थी। साथ ही पति वर्तमान में जिस हालात में रह रहा है। बेंच ने कहा कि गुजारा भत्ता मांगने का यह मतलब न निकाला जाए कि वह भीख मांग रही है। यह उसका कानूनी और नैतिक अधिकार है। बेंच ने पति की वास्तविक आय का पता लगाने के निर्देश दिए। साथ ही पत्नी के गुजारा भत्ता को 16 हजार से बढ़ाकर 25 हजार रुपये कर दिया। बेंच ने फैसले में कहा कि फैमिली कोर्ट ने 2019 में महिला के लिए 16 हजार रुपये महीने का अंतरिम गुजारा भत्ता तय किया था। अब पति को गुजारा भत्ता याचिका दाखिल करने की तारीख से लेकर अब तक 25 हजार रुपये मासिक गुजर-बसर रकम के हिसाब से पूर्व का भुगतान भी पत्नी को करना होगा।
महंगी कार का इस्तेमाल, महंगे होटलों में खाना और पिता के बड़े कारोबार में हिस्सेदारी। हालांकि जब अलग रह रही पत्नी को भरण-पोषण देने की बारी आई तो खुद को एक कमीशन एजेंट बता मामूली रकम कमाने वाला व्यक्ति बताया। पत्नी ने याचिका में दावा किया कि दिल्ली में उसके ससुर की दो दुकान और गोदाम हैं। एक पैतृक आवास भी है। इस पर पति ने संपत्ति होने की बात तो स्वीकार की, लेकिन कहा है कि उसे बेदखल कर दिया गया है।