पति की मौत के बाद पहाड़ में अकेली रहती थी महिला, जुड़वां नवजात को दिया जन्म
राजस्थान। अरावली की पहाड़ियों के बीच बसे उदयपुर के घने जंगल में सोमवार को एक प्रसूता और उसके 2 जुड़वां नवजात के होने की जानकारी ने सबको हैरत में डाल दिया. जिला कलेक्टर तारचंद मीणा के कहने पर अधिकारी मौके पर पहुंचे. पत्थरों पर बिछे चिथड़ों पर लेटी बच्चियों को देखकर वे चौंक गए. उन्हें बच्चों को उठाना चाहा, तो मां पत्थर लेकर खड़ी हो गई.
इसके बाद पुलिस ने रेस्क्यू कर मां और नवजात बेटियों को एमबी अस्पताल में भर्ती करवा दिया है. अब तीनों की हालत में सुधार है. प्रसूता मानसिक रूप से विक्षिप्त है. अब डॉक्टरों को भी आश्चर्य इस बात का है कि जन्म के बाद ज्यादा देखभाल नहीं होने, गर्मी और भूख-प्यास के अलावा पैंथरों वाले इस इलाके में वे कैसे बची रहीं? ग्रामीणों की मानें तो दिन में ये बच्चियां रोतीं, तो वाहनों के शोर में बच्ची की आवाज दब जाती थी. मगर, रात के शांत माहौल होने की वजह से गांव तक बच्चे की रोने की आवाज आती थी. पहले तीन दिन तो ग्रामीण समझे ही नहीं कि क्या माजरा है.
चौथे दिन सोमवार को मौके पर पहुंचे तो दंग रह गए. इसके बाद चीरवा उप स्वास्थ्य केंद्र में सूचना दी. आशा सहयोगिनी सुमन मेनारिया और सीएचओ (चीफ हेल्थ ऑफिसर) हितेश वैष्णव मौके पर पहुंचे. उन्हें देख प्रसूता पत्थर लेकर दौड़ी. इसके बाद में सरपंच प्रकाश गमेती आए. फिर प्रशासन की ओर से राजस्व अधिकारी और पुलिस पहुंची. किसी तरह प्रसूता को महिला अस्पताल और बच्चियों को बाल चिकित्सालय में भर्ती कराया गया. बाल रोग विशेषज्ञ आरएल सुमन ने बताया कि बच्चियां भूखी-प्यासी रहने के बाद भी अच्छी हालत में हैं. महिला अभी किसी को भी आसपास नहीं आने दे रही है.जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा ने बीडीओ को प्रसूता के लिए विधवा पेंशन शुरू करने और बच्चियों को पालनहार योजना का फायदा दिलाने के निर्देश दिए हैं. ये दोनों काम 7 दिन में शुरू होने के स्पष्ट निर्देश हैं. जानकारी के मुताबिक, महिला उदयपुर-नाथद्वारा रोड पर चीरवा के पास की रहने वाली है, लेकिन उसका कोई अपना नहीं है. इस मामले में महिला के साथ दुष्कर्म की आशंकाओं को देखते हुए एक टीम काउंसलिंग की है.
साथ ही उसके करीबी रहे लोगों से जोड़कर इसकी जांच भी की जा रही है. बताया जा रहा है कि महिला के पति की तीन साल पहले मौत हो चुकी है. महिला पहाड़ पर ऊंचाई पर रहती है. वह अक्सर खाने के लिए नीचे उतरती थी. खेतों में काम करने वाले लोग उसे खाना देते थे. बीते तीन-चार दिन से वह नीचे नहीं आ रही थी.