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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत को आने वाले कुछ ही हफ्तों में ही कोरोना वायरस की वैक्सीन मिल सकती है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत को आने वाले कुछ ही हफ्तों में ही कोरोना वायरस की वैक्सीन मिल सकती है. पीएम मोदी ने सर्वदलीय बैठक में इसका ऐलान किया है और यह भी बताया है कि आखिर किस तरह से वैक्सीन का टीकाकरण किया जाएगा. पीएम मोदी के अनुसार, कोराना वॉरियर्स और बुजर्गों को सबसे पहले वैक्सीन दी जाएगी और वैज्ञानिकों की हरी झंडी मिलने के साथ ही टीकाकरण पर काम शुरू हो जाएगा. आपको भी वैक्सीन का इंतजार तो होगा ही, लेकिन क्या आप जानते हैं भारत के देशवासियों को पहुंचने वाली वैक्सीन में हैदराबाद की अहम भूमिका होगी. जी हां, माना जा रहा है कि कोई भी देश वैक्सीन बना ले, लेकिन हैदराबाद के बिना लोगों तक वैक्सीन पहुंचना मुश्किल हो सकता है.
दरअसल, वैसे तो पूरी दुनिया वैक्सीन का इंतजार कर रही है, लेकिन सभी की आंखें भारत पर ही हैं, क्योंकि भारत दुनिया की 60 फीसदी वैक्सीन का निर्माण करता है. वहीं, भारत में सबसे ज्यादा वैक्सीन का प्रोडक्शन किसी और शहर में नहीं, बल्कि हैदराबाद में ही होता है. बताया जाता है कि हैदराबाद के पास दुनिया की एक तिहाई वैक्सीन बनाने की क्षमता है. भारत में इतनी फार्मा कंपनियां है कि वैक्सीन के लिए अन्य देशों को भी भारत का सहारा लेना पड़ेगा.
बता दें कि वैक्सीन को हरी झंडी मिलने के बाद हैदराबाद में सबसे ज्यादा वैक्सीन का निर्माण होने वाला है. हैदराबाद को फार्मा और वैक्सीन कैपिटल ऑफ इंडिया कहा जाता है. यहां आने वाले वक्त में बड़ी संख्या में वैक्सीन की मैन्युफैक्चरिंग होने वाली है. यहां तक कि कई इंटरनेशनल रिपोर्ट्स में तो हैदराबाद को वैक्सीन कैपिटल ऑफ वर्ल्ड भी कहा जा रहा है. हैदराबाद के बाद पुणे के सिरम इंस्टीट्यूट का नाम है, जहां भी बड़ी संख्या में वैक्सीन डवलप होने वाली है. दरअसल, भारत में कई ऐसी कंपनियां हैं, जो भारत में वैक्सीन का निर्माण करते हैं और इन कंपनियों के अधिकतर प्लांट हैदराबाद में ही है.
अगर भारत के ड्रग प्रोडक्शन की बात करें तो देश का 40 फीसदी ड्रग प्रोडक्शन हैदराबाद में ही होता है. वहीं, भारत से निर्यात होने वाली दवाइयों का 50 फीसदी प्रोडक्शन भी हैदराबाद में ही होता है. इसलिए हैदराबाद को ड्रग कैपिटल कहा जाता है और इससे हैदराबाद में अरबों रुपये का कारोबार होता है. 2500 फार्मा कंपनियों के हेडक्वार्टर्स भी हैदराबाद में ही हैं. आईडीपीएल का रिसर्च सेंटर और मैन्युफैक्चरिंग बेस भी हैदराबाद में ही है. ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि कोई भी वैक्सीन फाइनल हो, हैदराबाद में बड़ी मात्रा में वैक्सीन का प्रोडक्शन किया जाना संभव है.
शांता बायोटैक्निक्स लिमिटेड के फाउंडर डॉक्टर वाराप्रसाद रेड्डी, बायोलॉजिकल ई लिमिटेड की मैनेंजिंग डायरेक्टर महिमा दतला का भी मानना है कि हैदराबाद अहम रोल निभाने वाला है और इस सिटी में बड़ी संख्या में वैक्सीन निर्माण की क्षमता है। दरअसल, हैदराबाद में वो आवश्यक इंफ्रास्टक्चर है, जिसके जरिए बड़ी संख्या में वैक्सीन तैयार की जा सकती है.
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