दिल्ली: राज्यसभा में आज दिल्ली सेवा बिल गृहमंत्री अमित शाह आज बिल पेश करेंगे। यह बिल पहले ही लोकसभा से पारित हो चुका है। इसे लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने व्हिप जारी किया है। बता दें कि दिल्ली सेवा बिल को लेकर आम आदमी पार्टी ने विपक्षी पार्टियों से समर्थन मांगा है। लोकसभा में ये बिल तो आसानी से पास हो चुका है लेकिन राज्यसभा में इसके पास होने में अड़चनें आ सकती हैं।
संसद की कार्यवाही हुई शुरू
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने चीन के साथ सीमा स्थिति पर चर्चा की मांग करते हुए लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया। कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने "सरकार द्वारा जांच एजेंसियों के दुरुपयोग" पर चर्चा करने और सरकार को इस तरह के रवैये को तुरंत रोकने का निर्देश देने के लिए लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया। राजद सांसद मनोज कुमार झा ने मणिपुर की स्थिति पर चर्चा के लिए राज्यसभा में कामकाज स्थगित करने का नोटिस दिया।
AAP के राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक' पर विचार करने और पारित करने का विरोध करने के लिए राज्यों की परिषद में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों के नियम 66 और नियम 67 के तहत नोटिस दिया है। 2023'.
राज्यसभा में हो सकती है मुश्किल
लोकसभा में बहुमत मिलने से केंद्र सरकार ने दिल्ली सर्विस बिल आसानी से पास करा लिया लेकिन राज्यसभा में इसे पास कराने में मुश्किल हो सकती है। आम आदमी पार्टी इस बिल का जोरदार विरोध कर रही है औक उसने विपक्षी इंडिया गठबंधन के सदस्यों को भी बिल का विरोध करने पर मना लिया है। ऐसे में राज्यसभा में इस समय 238 सांसद हैं. और बिल को पास कराने के लिए सरकार को राज्यसभा में 119 सदस्यों की जरूरत होगी।
वर्तमान में राज्यसभा में बीजेपी के पास 92 सांसद हैं। एनडीए के सहयोगी दलों को मिलाकर यह संख्या 103 हो जाती है और पांच मनोनीत सांसद भी हैं। मनोनीत सांसद केंद्र सरकार के समर्थन में ही होते हैं, वहीं, विपक्ष के 'इंडिया' गठबंधन के दलों के सांसदों की संख्या 109 है।
मानसून सत्र में बस पांच दिन बचे हैं
मानसून सत्र के शेष पांच दिनों में संसद के दोनों सदनों में गहन बहस देखने को मिलेगी क्योंकि लोकसभा में मंगलवार से अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होगी और राज्यसभा में सोमवार को विवादास्पद दिल्ली सेवा विधेयक पर चर्चा होगी, हालांकि विपक्ष के आने की संभावना है। मणिपुर मुद्दे पर अपना रुख कायम रखें, जिसके कारण उच्च सदन में गतिरोध पैदा हो गया है।