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फाइल फोटो
फेरबदल के आसार
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) में संगठन और सरकार में बदलाव के कयासों के बीच पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष ने पार्टी के नेताओं से मुलाकात की. आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह मुलाकात कई मायनों में अहम मानी जा रही है. लेकिन सबसे बड़ी बात है कि पहली बार ऐसा हो रहा है कि पार्टी का राष्ट्रीय संगठन प्रदेश के हर एक मंत्री को अलग-अलग बिठाकर आधा-आधा घंटे बात कर रहा है.
जानकारी के मुताबिक आरएसएस और बीएल संतोष के बीच हुई बैठक में RSS के यूपी के प्रमुख नेता भी शामिल हुए. इस बैठक में बीएल संतोष ने आरएसएस नेताओं से फीडबैक लिया. जिसके बाद बीएल संतोष बुधवार को दिल्ली वापस जाएंगे. जहां वो पार्टी संगठन को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे.
इशारा साफ है कि पार्टी के राष्ट्रीय संगठन को प्रदेश के संगठन के नेतृत्व की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं है. इसीलिए वह खुद ही सब से बातचीत करके मामले की जड़ तक पहुंचना चाहते हैं. दरअसल, पार्टी संगठन के इस एहतियात की और भी वजह है, और सबसे बड़ी वजह यह है कि हाल के दिनों में जिस तरह से पंचायत चुनाव के दौरान पार्टी की हार हुई है और उसके बाद एक-एक करके कोरोना प्रबंधन और तमाम दूसरे मामलों में पार्टी बैकफुट पर आई है.
पार्टी को सता रहा हार का डर
अब पार्टी के राष्ट्रीय संगठन को आने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की हार का डर सताने लगा है. बहरहाल मंगलवार सुबह बीएल संतोष के मंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों से मिलने का सिलसिला शुरू हुआ तो सबसे पहले उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बीएल संतोष से मुलाकात की, और मुलाकात के बाद पार्टी की जबर्दस्त जीत दोहराने की बात भी कही.
इसके बाद यूपी के दूसरे उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा ने बीएल संतोष से मुलाकात की और उन्होंने बताया कि कोरोना के आगे प्रबंधन को लेकर चर्चा हुई है. फिर एक-एक करके श्रीकांत शर्मा, सिद्धार्थ नाथ सिंह, स्वामी प्रसाद मौर्य, अनिल राजभर, रमापति शास्त्री और दूसरे नेताओं ने मुलाकात की. हालांकि मुलाकात के बाद बाहर निकल कर के इन सभी ने यही बताया कि कोरोना संक्रमण से प्रदेश की जनता को बचाने के लिए पार्टी की तैयारियों और आने वाले चुनाव को लेकर कुछ बातों पर चर्चा हुई है.
सब कुछ ठीक नहीं चल रहाः सूत्र
हालांकि पार्टी के भीतर के सूत्र बताते हैं कि दरअसल पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. पंचायत चुनाव के नतीजे हैरान करने वाले हैं. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान पार्टी की स्थिति बहुत खराब हुई है. ऐसे में 8 महीने बाद होने वाले चुनाव कहीं उलटा ना पड़ जाए, इसीलिए पार्टी का राष्ट्रीय संगठन सबसे अलग बात करके यह जानना चाहता है कि आखिर समस्या है कहां?
सूत्र यह भी बताते हैं कि आलाकमान को मिली रिपोर्ट बहुत भरोसे लायक नहीं है इसीलिए राष्ट्रीय संगठन के पदाधिकारी को अलग से लोगों का फीडबैक लेने के लिए भेजा गया है. संभावना इस बात की है कि भले ही चुनाव से 7-8 महीने पहले सरकार में कोई विस्तार न किया जाए, लेकिन संगठन में फेरबदल जरूर किया जाएगा. इसके अलावा जो कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या पार्टी सरकार के नेतृत्व में भी बदलाव कर सकती है.
क्या बदले जाएंगे मुख्यमंत्री?
हालांकि ऐसा तर्कसंगत नहीं लगता है. वजह यह है कि पार्टी के पास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बड़ा और प्रभावशाली चेहरा कोई नहीं है. दूसरी बात यह भी है कि चुनाव से पहले अगर नेतृत्व बदला जाता है तो फायदे की बजाय नुकसान होने की संभावना ज्यादा है.
लिहाजा सरकार में ज्यादा फेरबदल की कोई गुंजाइश नजर नहीं आती. बेशक एके शर्मा, जिनकी बार-बार चर्चा चलती है उन्हें सरकार या संगठन में कोई जिम्मेदारी दे दी जाए. ताकि इन चर्चाओं पर विराम लग सके. बहरहाल अभी इन लोगों से फीडबैक लेने के बाद बीएल संतोष पार्टी के आलाकमान को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे. उसी के आधार पर आगे की रणनीति तय होगी कि आखिरकार बदलाव कहां और कितने किए जाने हैं.
लेकिन इतना तय है चुनाव से ठीक पहले यह जो बैठकों का सिलसिला शुरू हुआ है इसके मायने में बहुत गहरे हैं और किसी भी सूरत में संगठन और सरकार में कुछ न कुछ बदलाव जरूर होगा. जिसके साथ भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव में कूच करेगी.
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