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बड़ा ऐलान करेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी? देश के नाम संबोधन कभी भी

jantaserishta.com
11 March 2024 11:48 AM GMT
बड़ा ऐलान करेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी? देश के नाम संबोधन कभी भी
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नई दिल्ली: आज थोड़ी देर में पीएम मोदी के देश के नाम संबोधन को लेकर तमाम अटकलें हैं। सभी की नजरें पीएम मोदी की घोषणा पर होंगी। विपक्षी दल भी पीएम मोदी की घोषणा को लेकर चौकन्ना हैं। खासकर, इसलिए भी क्योंकि लोकसभा चुनाव को लेकर कभी भी आदर्श आचार संहिता जारी हो सकती है।

लागू होगा CAA
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है। देश में सीएए लागू होगा और आज रात तक केंद्रीय गृह मंत्रालय इसे लेकर नोटिफिकेशन जारी कर सकता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीते दिनों कहा था कि सीएए को लागू करने के लिए नियमों की घोषणा लोकसभा चुनाव से पहले की जाएगी। शाह ने 27 दिसंबर को कहा कि कोई भी सीएए के क्रियान्वयन को नहीं रोक सकता क्योंकि यह देश का कानून है। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। कोलकाता में भाजपा की सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि सीएए लागू करना पार्टी की प्रतिबद्धता है।
मालूम हो कि संशोधित नागरिकता अधिनियम-2019 (सीएए) को लेकर राजनीति लंबे समय से गरमाई हुई है। कांग्रेस के सीनियर नेता पवन खेड़ा ने हाल ही में कहा था कि अगर लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी सत्ता में आई तो वह CAA को रद्द कर देगी। उन्होंने कहा, ‘असम में बाहर से आए लोगों के वैध तरीके से निवास की अंतिम तारीख 1971 है, लेकिन सीएए इसे हटा देगा क्योंकि उसमें अंतिम तारीख 2014 होगी।’ कांग्रेस नेता असम समझौते के अनुसार, बांग्लादेश से असम में प्रवेश करने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने के लिए 25 मार्च, 1971 की अंतिम तारीख का जिक्र कर रहे थे।
दरअसल, सीएए के तहत केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 31 दिसंबर 2014 को या इससे पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय) को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया है। कानून के अनुसार, सीएए के तहत तीनों पड़ोसी देशों के बिना दस्तावेज वाले अल्पसंख्यकों को लाभ मिलेगा। सीएए दिसंबर 2019 में पारित हुआ था और इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई। हालांकि, अभी तक कानून को लागू नहीं किया जा सका है और इसके क्रियान्वयन के लिए नियम जरूरी हैं। संसद से सीएए पारित होने के बाद देश के कुछ हिस्सों में बड़े स्तर पर प्रदर्शन हुए थे। प्रदर्शनों के दौरान और पुलिस कार्रवाई में 100 से अधिक लोगों की जान चली गई।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सीएए को लेकर इसी महीने बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा कि इसका विरोध करने वाले आंदोलन करने के बजाय अपनी शिकायत के निवारण के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करें। शर्मा ने कहा, ‘असम में लोगों के 2 वर्ग हैं। कुछ लोग सीएए का समर्थन करते हैं और मैं उनमें से एक हूं, और कई लोग हैं जो इसका विरोध करते हैं। हमें दोनों दृष्टिकोणों को समायोजित करना होगा। हमें इसके विरोध या समर्थन के लिए किसी की आलोचना नहीं करनी है।’ अवैध प्रवासी अधिनियम का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि लोगों का एक बड़ा वर्ग इसके विरोध में रहा है। इसे एससी ने रद्द कर दिया है, किसी आंदोलन ने नहीं। विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ-साथ छात्र संगठनों ने कहा है कि अगर राज्य में सीएए लागू किया गया तो वे राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे।

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