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'दिव्यांगजन विश्व रिकॉर्ड' बनाने के लिए सियाचिन ग्लेशियर पर शुरू करेंगे अभियान
Deepa Sahu
13 Aug 2021 6:38 PM GMT
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देश के अलग अलग हिस्सों के दिव्यांगजनों की एक टीम नया विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर चढ़ाई का अभियान शुरू करेगी।
देश के अलग अलग हिस्सों के दिव्यांगजनों की एक टीम नया विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर चढ़ाई का अभियान शुरू करेगी. सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में बताया कि हाल में केंद्र सरकार ने दिव्यांगजनों की एक टीम को सियाचिन ग्लेशियर पर चढ़ाई की अनुमति दी है.
बयान के मुताबिक, दिव्यांगनजों की टीम को पूर्व सशस्त्र बलों के एक दल 'टीम क्लॉ' द्वारा प्रशिक्षित किया गया है. मंत्रालय ने बताया, "देश भर के चुने हुए दिव्यांगजन विश्व के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र तक पहुंचने के लिए दिव्यांगजनों की सबसे बड़ी टीम का एक नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित करने के लिए कुमार चौकी (सियाचिन ग्लेशियर) तक एक अभियान शुरू करेंगे."
काफिले को झंडी दिखा कर करेंगे रवाना
बयान के मुताबिक, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, केन्द्रीय मंत्री डॉ. वीरेन्द्र कुमार नई दिल्ली से 'दिव्यांगजन सियाचिन ग्लेशियर अभियान' के वाहन काफिले को झंडी दिखा कर रवाना करेंगे. मंत्रालय ने कहा कि 'ऑपरेशन ब्लू फ्रीडम' नाम के अभियान की सफलता दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने में एक अग्रणी देश के रूप में भारत को वैश्विक मंच पर मजबूती से स्थापित करेगी और अन्य देशों के लिए अनुकरण करने के लिए एक मानदंड स्थापित करेगी.
सियाचिन दुनिया का हाइएस्ट वॉर जोन है. ऐसे में यहां पर तैनात सैनिकों को कई तरह के मुश्किलों का सामना भी करना पड़ता है. सियाचिन का तापमान आम दिनों में न्यूनतम से 45 डिग्री सेल्सिस से कम रहता और सर्दियों में माइनस 60 डिग्री से भी नीचे चला जाता है. यहां पर तैनात जवानों को दुश्मन के साथ-साथ मौसम और ऑक्सीजन की कमी से भी जूझना पड़ता है.
सियाचिन में ऑक्सीजन कम है और कभी-कभी ऑक्सीजन का लेवल कम होने से सैनिकों की याद्दाश्त तक कमजोर होने की आशंका रहती है. ऑक्सीजन में कमी की वजह से जवानों को बोलने में दिक्कत, फेफड़ों में संक्रमण और ऐसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. यही वजह है कि जवानों को वो हर सुविधा दी जाती है जिससे वो खुद को स्वस्थ रख सकें और दुश्मनों के दांत खट्टे कर सकें. भारतीय जवान इतनी कठिन परिस्थिति में भी दुश्मन पर कड़ी नजर रखते हैं और अपने देश को महफूज रखते हैं.
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