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समाजवादी पार्टी का 3 दिन में तेरहवीं करूंगा: नारद राय

Shantanu Roy
28 May 2024 4:18 PM GMT
समाजवादी पार्टी का 3 दिन में तेरहवीं करूंगा: नारद राय
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बड़ी खबर
लखनऊ। लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान से कुछ दिन पहले समाजवादी पार्टी को पूर्वांचल में बड़ा झटका लगा है. उसके वरिष्ठ नेता नारद राय ने पार्टी छोड़ने और भाजपा में शामिल हो गए हैं. नारद राय ने बड़े न्यूज़ चैनल को बयान देते हुए कहा है कि समाजवादी पार्टी का 3 दिन में तेरहवीं करूंगा। उन्होंने सोमवार रात ‘X’ पर एक पोस्ट के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की प्रशंसा की. नारद राय दिवंगत सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाते हैं.
नारद राय ने कहा, ‘परिवार का घर छोड़ते हो या पार्टी छोड़ते हो तो तकलीफ होती है. और खास तौर ऐसी पार्टी छोड़ने में जहां मैंने अपनी जिंदगी के 40 साल गुजार दिए. छोटे लोहिया (जनेश्वर मिश्र) ने मुझे छात्र राजनीतिक से निकालकर मुख्य धारा की राजनीति से जोड़ा. उनके आशीर्वाद से एमएलए बना, मंत्री बना और जितना हुआ विकास भी किया. इलाहाबाद में जब जनेश्वर मिश्र नहीं रहे तो मैं रो रहा था. तब नेताजी (मुलायम सिंह यादव) ने कहा, नारद मैं जिंदा हूं. जब तक रहूंगा कभी जनेश्वर मिश्र की कमी तुम्हें नहीं खेलने दूंगा. हमारा दुर्भाग्य है कि अब नेताजी भी नहीं रहे.’
नारद राय ने आगे कहा, ‘एक घटना ऐसी हुई जिसे सब जानते हैं. तब भी मैं नेताजी के साथ बेटा बनकर खड़ा रहा और अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के नेता बनकर खड़े रहे कि हमको हिस्सेदारी दो. हम लोग बार-बार कह रहे थे कि नेताजी के सम्मान को मत घटाइए. नेताजी को जिंदगी भर अध्यक्ष रहने दीजिए. बाकी सबकुछ आप लोगों का है. आप लोगों का रहेगा. यही नेताजी की इच्छा थी और मैं उसके लिए लड़ता रहा. उसी बीच में अखिलेश से हमारी दूरी बढ़ती गई और उन्होंने हमको 2017 के विधानसभा चुनाव में टिकट भी नहीं दिया. नेताजी की जिद थी कि नारद राय को चुनाव लड़ाना है. अखिलेश ने 2022 में हमको टिकट तो दिया लेकिन सीधे-सीधे मेरे हारने का भी इंतजाम किया.’
पूर्वांचल के इस कद्दावर भूमिहार नेता ने कहा, ‘जो लोग हमारा विरोध कर रहे थे, पार्टी पदाधिकारियों के कंप्लेंट के बाद भी उन पर एक्शन नहीं हुआ. एक छोटे नेता को भी हमारे क्षेत्र में नहीं भेजा. पहली बार बलिया मुख्यालय पर समाजवादी पार्टी का कोई राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं आया. संदेश दिया गया कि नारद राय तो मुलायम सिंह का उम्मीदवार है और अखिलेश इसको पसंद नहीं करते. फिर भी मैं लग रहा और कोशिश करता रहा कि हमारे और उनके रिश्ते बने रहें. नेताजी चुनाव के बाद भी अखिलेश से कहते थे कि नारद राय का ख्याल रखो. मैं तो लोकसभा का उम्मीदवार था ही नहीं. अखिलेश यादव ने मुझे बुलाया, मैंने कहा चुनाव लड़ने के लिए मेरे पास पैसे नहीं हैं. उन्होंने कहा कि पैसे का इंतजाम हो जाएगा. फिर वह अचानक अंसारी परिवार के इतने दबाव में आ गए कि हमारा टिकट काट दिया.’
नारद राय ने कहा, ‘याद होगा आपको, इसी अंसारी परिवार को पार्टी में शामिल करने का विरोध करने पर बलराम यादव को सरकार से बर्खास्त कर दिया गया था. शिवपाल यादव को बर्खास्त कर दिया गया था. उस माफिया के मरने पर अखिलेश उसके घर आए. उसको शहीद का दर्जा दिलाने का प्रयास भी किया. उन्होंने अंसारी परिवार के दखल के और विरोध के कारण हमारा टिकट काट दिया. यह मुझे अच्छा नहीं लगा. मैं अंसारी परिवार का दरबारी बनकर न राजनीति किया हूं और न करूंगा. मैं किसी का दरबारी नही बन सकता. मैं जनता का दरबारी हूं और जनता के लिए संघर्ष करता रहूंगा.’
वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘इससे ज्यादा मेरा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि संगठन के लोगों ने मंच पर हमारा नाम ही नहीं दिया. लोगों ने हमको महसूस नहीं होने दिया और मंच पर जाने दिया. अखिलेश यादव संबोधन करते हैं और हमारा नाम नहीं लेते. मेरा नाम भूल जा रहे. तो हम अब अखिलेश यादव को याद करके क्या करेंगे? इसलिए मैंने फैसला किया है, अब अखिलेश के साथ नहीं रहूंगा. मैं आभारी हूं नीरज शेखर और ओम प्रकाश राजभर का कि उन्होंने हमसे संपर्क किया. अमित शाह का मुझे स्नेह मिला और उन्होंने मुझसे कहा कि आपके मान सम्मान का ख्याल रखा जाएगा.
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