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भारत के कोने-कोने तक पहुंचेगा फ्री इंटरनेट, सुविधा देगी मोदी सरकार?
jantaserishta.com
21 July 2024 2:38 PM GMT
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राज्यसभा में यह विधेयक पेश किया गया था।
नई दिल्ली: सरकार ने प्रत्येक नागरिक को मुफ्त इंटरनेट का अधिकार देने वाले निजी विधेयक पर विचार को मंजूरी दे दी है। देश के पिछड़े और दूरदराज के क्षेत्रों के लोगों तक समान पहुंच सुनिश्चित करना इसका मकसद है। इस विधेयक में प्रस्ताव किया गया है, 'इंटरनेट सुविधाओं तक पहुंच को रोकने में किसी भी नागरिक के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क या खर्च का भुगतान बाध्यकारी नहीं होगा।' मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) के सदस्य वी शिवदासन की ओर से दिसंबर 2023 में राज्यसभा में यह विधेयक पेश किया गया था।
संसद के ऊपरी सदन से जारी बुलेटिन के अनुसार, दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राज्यसभा महासचिव को सूचित किया है कि राष्ट्रपति ने सदन को विधेयक पर विचार करने की सिफारिश की है। सरकारी खजाने से खर्च वाले निजी सदस्यों के विधेयकों को संबंधित मंत्रालय के माध्यम से राष्ट्रपति की अनुमति की आवश्यकता होती है कि क्या ऐसे विधेयकों पर सदन की ओर से विचार किया जा सकता है। विधेयक में कहा गया है कि प्रत्येक नागरिक को मुफ्त इंटरनेट पहुंच का अधिकार होगा। साथ ही, संबंधित सरकार सभी नागरिकों के लिए इंटरनेट की सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करते हुए, यह विशेष उपाय करेगी कि देश के पिछड़े और दूरदराज के क्षेत्रों से संबंधित नागरिकों को इंटरनेट तक समान पहुंच प्रदान की जाए।
विधेयक देश के सभी नागरिकों को दिए गए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार के दायरे का विस्तार करना चाहता है, जिससे इंटरनेट सभी के लिए मुफ्त में सुलभ हो सके। विधेयक में यह भी कहा गया है कि समाज में डिजिटल विभाजन को पाटा जाएगा। बिल के मुताबिक, संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को सभी नागरिकों के लिए मौलिक अधिकार बनाता है। इसलिए उन्हें अभिव्यक्ति और अन्य मौलिक मानवाधिकारों की स्वतंत्रता के अपने अधिकार का प्रयोग करने व लाभ लेने के लिए इंटरनेट का उपयोग करने में सक्षम होना चाहिए।
बिल में कहा गया है कि केंद्र सरकार को या तो सीधे सभी नागरिकों को इंटरनेट पहुंच प्रदान करना चाहिए। या फिर, किसी भी सेवा प्रदाता की ओर से प्रदान की जाने वाली सेवाओं को पूरी तरह से सब्सिडी देनी चाहिए ताकि सभी नागरिकों के लिए इंटरनेट की मुफ्त पहुंच सुनिश्चित हो सके। यह भी प्रस्ताव है कि केंद्र राज्यों को राजस्व सहायता अनुदान के रूप में धन प्रदान करेगा, ताकि वे अधिनियम के प्रावधानों को लागू कर सकें।
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