भारत

यूनिफॉर्म सिविल कोड पर क्‍या बीजेपी पूरा करने वाली है वादा? जानें क्या है ये!

jantaserishta.com
13 Feb 2022 3:36 AM GMT
यूनिफॉर्म सिविल कोड पर क्‍या बीजेपी पूरा करने वाली है वादा? जानें क्या है ये!
x

नई दिल्ली: कर्नाटक के एक कॉलेज से हिजाब पर शुरू हुआ विवाद (Hijab Controversy) राष्ट्रीय स्तर पर छाया हुआ है और इस पर राजनीति तेज हो गई है. पिछले कुछ दिनों के अंदर आपने देखा ही कि कैसे यह एक राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा बन गया है. कर्नाटक से लेकर दिल्ली तक सत्तापक्ष और प्रतिपक्ष के नेता हिजाब के समर्थन और विरोध में अपनी दलीलें दे रहे हैं. इस कंट्रोवर्सी के बीच एक बार फिर से यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) यानी समान नागरिक संहिता की चर्चा होने लगी है. शनिवार को उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा दांव खेल दिया है. उन्होंने कहा है कि फिर से सरकार बनते ही वे स्पेशल कमेटी बनाकर समान नागरिक संहिता लाएंगे. इसको लेकर पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिकाएं भी दाखिल की जा चुकी हैं.

यूनिफॉर्म सिविल कोड पर पहले भी काफी चर्चा हो चुकी है. इसके पक्ष और विपक्ष में भी लोग अपना मत रख चुके हैं. इस बार हिजाब को लेकर हो रहे विवाद के बीच फिर से चर्चा में आया है. आइए जानते हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है? यह संविधान से कैसे जुड़ा है? हिजाब कंट्रोवर्सी के बीच इसके क्या मायने हैं? इसके आने से क्या कुछ बदल जाएगा?
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
यूनिफॉर्म सिविल कोड का सीधा मतलब है- देश के हर नागरिक के लिए एक समान कानून. फिर भले ही वह किसी भी धर्म या जाति से ताल्लुक क्यों न रखता हो. फिलहाल देश में अलग-अलग मजहबों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं. यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से हर धर्म के लिए एक जैसा कानून आ जाएगा. समान नागरिक संहिता का मतलब हर धर्म के पर्सनल लॉ में एकरूपता लाना है. इसके तहत हर धर्म के कानूनों में सुधार और एकरूपता लाने पर काम होगा. यूनियन सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है.
क्यों इसे जरूरी बताया जा रहा?
जानकार बताते हैं कि हर धर्म में अलग-अलग कानून होने से न्यायपालिका पर बोझ पड़ता है. कॉमन सिविल कोड आ जाने से इस मुश्किल से निजात मिलेगी और अदालतों में वर्षों से लंबित पड़े मामलों के निपटारे जल्द होंगे.
आईआईएमटी नोएडा में मीडिया शिक्षक डॉ निरंजन कुमार कहते हैं कि सभी नागरिकों के लिए कानून में एकरूपता आएगी तो सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलेगा. आगे वे कहते हैं, "इस बात में कोई दो राय नहीं है कि जहां हर नागरिक समान हो, उस देश का विकास तेजी से होता है. कई देशों में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हैं."
आगे वे कहते हैं कि मुस्लिम महिलाओं की स्थिति इससे बेहतर होगी. चूंकि भारत की छवि एक धर्मनिरपेक्ष देश की है. ऐसे में कानून और धर्म का आपस में कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए. सभी लोगों के साथ धर्म से परे जाकर समान व्यवहार लागू होना जरूरी है.
कई देशों में लागू है यूसीसी
पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान और इजिप्ट जैसे कई देशों में यूनिफॉर्म सिविल कोड पहले से लागू है.
क्यों होते रहे हैं विरोध?
समान नागरिक संहिता का विरोध करने वालों का कहना है कि यह सभी धर्मों पर हिंदू कानून को लागू करने जैसा है. इस पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को बड़ी आपत्ति रही है. उनका कहना है कि अगर सबके लिए समान कानून लागू कर दिया गया तो उनके अधिकारों का हनन होगा. मुसलमानों को तीन शादियां करने का अधिकार नहीं रहेगा. उन्हें अपनी बीवी को तलाक देने के लिए कानून के जरिये जाना होगा. वह अपनी शरीयत के हिसाब से जायदाद का बंटवारा नहीं कर सकेंगे.

Next Story