पत्नी ने मेरे साथ क्रूरता की, तलाक मांगने वाले शख्स ने High Court में कहा
यूपी UP News। हाईकोर्ट High Court ने कहा है कि पति-पत्नी का लंबे समय तक अलग-अलग रहना तलाक का एक मात्र आधार नहीं हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि तलाक के लिए स्वैच्छिक परित्याग के साथ-साथ अन्य परिस्थितियों को भी देखा जाना चाहिए। वैवाहिक जीवन में आने वाली परेशानियों के बाद भी पति-पत्नी के बीच संबंध बने रह सकते हैं। केवल पति और पत्नी के बीच अलगाव की अवधि को विवाह के पूरी तरह टूट जाने का आधार मानकर तलाक Divorce नहीं दिया जा सकता। न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डी रमेश की पीठ ने महेंद्र कुमार सिंह Mahendra Kumar Singh की अपील खारिज करते हुए यह आदेश दिया।
Varanasi वाराणसी निवासी महेंद्र कुमार सिंह की शादी 1999 में हुई थी। विवाह से उनके दो बच्चे हुए, जो वयस्क हो चुके हैं। पति-पत्नी शुरू में पति के माता-पिता के साथ वाराणसी में रहते थे। इस दौरान याची के पिता की मृत्यु के बाद, उसे मिर्जापुर में अनुकंपा नियुक्ति मिल गई और वह वहां चला गया। वहीं, उसकी पत्नी याची की मां के साथ अंतिम समय तक रही और उनकी देखभाल की। मां ने उसके पक्ष में वसीयत कर दी थी। इस दौरान याची ने अपनी पत्नी और उसके परिवार की ओर से उसके खिलाफ क्रूरता का आरोप लगाया और तलाक याचिका दायर की, जिसे प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय ने खारिज कर दिया था।
इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। याची के वकील का कहना था कि उसकी पत्नी ने क्रूरता की है। याची को माता-पिता से मिलने नहीं दे रही थी। साथ ही मां के अंतिम संस्कार में भी उसे शामिल नहीं होने दिया। दलील दी कि दोनों 1999 से अलग-अलग रह रहे थे। इसलिए विवाह पूरी तरह से टूट चुका है और तलाक अर्जी स्वीकारी की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि लगाए गए क्रूरता के आरोप के संबंध में किसी भी घटना की तारीख, समय और स्थान कोर्ट के समक्ष नहीं लाया गया है। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने सही माना है कि अपीलकर्ता नौकरी के लिए घर से बाहर चला गया था और उसकी पत्नी ने मां की देखभाल जारी रखी थी। यह विवाह के प्रति उसकी निष्ठा को दर्शाता है। सिर्फ लंबे समय तक पति-पत्नी के अलग रहने के आधार पर तलाक नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।