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भारत में क्यों खतरनाक हुई कोरोना वायरस की दूसरी लहर? BHU विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने खोज ली वजह
jantaserishta.com
15 May 2021 12:00 PM GMT
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कोरोना की दूसरी लहर को लेकर रिसर्च और स्टडी भी सामने आ रही है. वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के जंतु विज्ञान के जीन वैज्ञानिकों ने इसकी वजह भी खोज ली है कि आखिर दूसरी लहर इतनी भयानक कैसे साबित हुई? वैज्ञानिकों के मुताबिक हार्ड इम्यूनिटी या एंटीबॉडी का जल्दी खत्म हो जाना इसका कारण है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक एंटी बॉडी को लेकर कहा जा रहा था कि यह 6 महीनों तक बरकरार रहेगी लेकिन यह महज 3 महीने में ही खत्म हो गई. जिसकी वजह से कोरोना के खिलाफ शरीर में बने हार्ड इम्यूनिटी या एंटीबॉडी के विकसित होने के बावजूद दूसरी लहर काफी घातक साबित हुई.
कोरोना की दूसरी लहर के घातक होने के संबंध को सीधे हर्ड इम्यूनिटी या एंटीबॉडी से जोड़कर अध्ययन करने वाले बीएचयू के जंतु विज्ञान के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि वाराणसी सहित कुल 14 जिलों में पिछले साल सितंबर से लेकर अक्टूबर तक एंटीबॉडी टेस्ट किया गया था. यह टेस्ट स्ट्रीट वेंडर्स का किया गया था. ऐसा यह जानने के लिए किया गया था कि ज्यादा एक्सपोज्ड लोगों में किस लेवल की इम्यूनिटी बनी है.
ICMR के नतीजे भी ऐसे ही
उनके मुताबिक औसतन 25-30% लोगों में एंटीबाॅडी बनी मिली. जिसमें वाराणसी या पूर्वांचल की बात करें तो लगभग 40% लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी बन चुकी थी. विश्व में और भी कई रिसर्च पेपर आए जिसमें यह दिखाया गया कि कोरोना के खिलाफ शरीर में बनने वाली एंटीबाॅडी शरीर में 6 माह तक के लिए रहती है. ऐसा ही अध्ययन ICMR ने भी किया था. जिसके नतीजे लगभग एक जैसे आए थे. इस आधार पर माना गया कि अगले 6 माह तक लोगों के शरीर में एंटीबाॅडी मौजूद रहेगी और कम से कम तब तक तो सेकेंड वेव नहीं आएगी. इसी दौरान ज्यादा से ज्यादा लोग वैक्सीनेट भी हो चुके होंगे. लेकिन हुआ इसके उलट.
लोगों में खत्म हो चुकी थी एंटीबॉडी
फील्ड में जाकर वाराणसी के उन 100 लोगों का फिर से अध्ययन किया गया जिनकी एंटीबाॅडी बन चुकी थी. उनकी फिर से एंटीबाॅडी जांच की गई और नतीजे चौंकाने वाले रहे क्योंकि जिन 100 लोगों में प्रचुर मात्रा में एंटीबाॅडी थी. उनमें से 93 लोगों में एंटीबाॅडी खत्म हो चुकी थी. जिसके बाद यह पता चला कि देश के लोगों के अंदर बनी इम्यूनिटी वाॅल ध्वस्त हो चुकी है. जिसके चलते पिछली बार 60-70% ऐसे लोग जो इंफेक्शन से ग्रसित नहीं थें वे भी इस बार इंफेक्टेड होते चले गए. इसी वजह से कोरोना की भयानक स्थिति पैदा हुई और लाॅकडाउन भी खत्म हो चुका था.
प्रोटोकॉल का भी पालन नहीं
उन्होंने आगे कहा कि सेकेंड वेव के वक्त इम्यूनिटी वाॅल टूट चूकी थी और हमने प्रोटोकाॅल का पालन करना भी बंद कर दिया था. अब हम लोग वैक्सीनेशन की स्पीड बढ़ाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीनेट कर दें तो तीसरी लहर को हम बहुत हद तक कम कर सकते हैं. लेकिन तब तक हमें कोरोना प्रोटोकाॅल को पालन करना होगा. अभी पता नहीं चल सका है कि एंटीबाॅडी 3-4 माह में ही क्यों खत्म हो गई? तो यह सोचा जा रहा है कि देश में ज्यादातर लोग बिना लक्षण के थे. पहली लहर में तो ज्यादा संभावना है कि उनके शरीर में बनी एंटीबाॅडी की मात्रा कम थी और वह बहुत ज्लदी खत्म हो गई और दूसरी लहर का भयानक दंश झेलना पड़ा.
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