एक समय था जब टमाटर (Tomato Price Hike) घर में बनने वाली हर एक सब्जी का स्वाद बढ़ाता था, लेकिन ये बात अब बीते वक्त के साथ पुरानी होती जा रही है। जिस टमाटर के दम पर सब्जियों में जायका आता था। अब उस टमाटर (Tomato Price) को देखने के लिए आम जनता को जेब ढीली करनी पड़ रही है। बीते कुछ दिनों से लोगों की थाली से टमाटर नदारद है। हालात ऐसे होते जा रहे हैं कि टमाटर के लाल तेवर जनता की जेब पर चोट पहुंचा रहे हैं।
अब से कुछ महीने पहले तक टमाटर के दाम 20 से 30 रुपये किलो थे, लेकिन बढ़ती महंगाई ने टमाटर को भाव खाने पर ऐसे मजबूर किया कि अब इसके दाम आसमान छूने लगे हैं। टमाटर ने 20 से 200 रुपये तक के दामों का सफर चंद दिनों में ऐसे पूरा किया कि अब आम हो या खास हर कोई इसे खरीदने से पहले कई बार सोचता है। ऐसे में ये जानना जरूरी बन जाता है कि जो टमाटर पहले इतना सस्ता था वो अचानक इतना महंगा कैसे हो गया।
क्यों बढ़ रहे टमाटर के दाम?
दरअसल, मई माह के अंत तक टमाटर की खुदरा कीमतें लगभग 30 रुपये किलो के आसपास थी, लेकिन जुलाई आते-आते टमाटर का ऐसा रौद्र रूप देखने को मिला कि इसकी मार से कोई नहीं बच पाया। 30 रुपये किलो तक बिकने वाले टमाटर के दाम 200 रुपये किलो तक पहुंच गए। इसकी एक बड़ी वजह किसानों की फसलों का खराब होना और बीते दिनों हुई भारी बारिश को माना जा रहा है। पिछले दो महीनों में देश भर में टमाटर की आपूर्ति बाधित हुई। इसके कारण टमाटर के दामों में धीरे-धीरे इजाफा हुआ। देशभर में टमाटर की सप्लाई बाधित होने से पिछले दो महीनों में दाम 20 से 200 रुपये किलो तक पहुंच गए।
किन राज्यों में होता है ज्यादा उत्पादन?
देश के कई राज्यों में टमाटर का उत्पादन होता है, लेकिन कुछ चुनिंदा राज्य ऐसे हैं। जहां टमाटर की उपज ज्यादा है।
एग्रीकल्चर स्टेट बोर्ड के अनुसार, देश के करीब सात राज्य ऐसे हैं, जहां सिर्फ 70 फीसद टमाटर की पैदावार है।
आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, उड़ीसा, गुजरात और पश्चिम बंगाल वो राज्य हैं। जहां सबसे ज्यादा टमाटर की खेती होती है।
इनमें आंध्र प्रदेश ही अकेला ऐसा राज्य है, जहां करीब 17 फीसद से अधिक टमाटर का उत्पादन होता है।
हालांकि, देश के बाकी राज्यों में भी टमाटर की खेती होती है, जिन्हें मंडियों में सप्लाई किया जाता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ में लूs या फिर लगातार हुई बारिश के कारण टमाटर की खेती पर असर पड़ा है।
क्या कम होंगी टमाटर की कीमतें?
दरअसल, टमाटर की तेजी में कमी तभी आएगी, जब किसान बड़े लेवल पर टमाटर की बुवाई करेंगे। इसमें अभी थोड़ा समय है क्योंकि मानसून के कारण कई जगह हुई भारी बारिश से फसलें बर्बाद हुई हैं। हालांकि, जब नई खेप बाजार में उतरेगी तो टमाटर की खुदरा कीमतों में कमी देखने को मिल सकती है। इससे पहले सरकार ने कहा था कि टमाटर में मौजूदा उछाल मौसम की वजह से है। आने वाले महीनों में टमाटर की कीमतें सामान्य होने की संभावना है।
सरकार के हस्तक्षेप के बाद भी क्यों बढ़ रहे दाम?
बता दें कि टमाटर के बढ़ते दामों को देखते हुए सरकार ने जनता को राहत देने के लिए कदम भी उठाए। क्योंकि एक महीने पहले तक ही खुदरा दरों में 300 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली थी। जब सरकार ने टमाटर के दामों पर अंकुश लगाने के लिए हस्तक्षेप किया तो इसकी दरें लगभग 120 रुपये प्रति किलो तक गिर गई थीं। हालांकि, टमाटर की सप्लाई कम होने से सरकार के कदम पर ही पानी फिर गया और फिर से इसके दाम 200 रुपये किलो तक पहुंच गए।
क्या है टमाटर का रेट?
बता दें कि दिल्ली में टमाटर की कीमतें 250-260 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं।
2 अगस्त तक मदर डेयरी के सफल स्टोर पर टमाटर 259 रुपये प्रति किलो के भाव से बिका है।
साथ ही एशिया की सबसे बड़ी थोक मंडी आजादपुर में टमाटर 150 से 200 रुपये की कीमत में बिका है।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में 2 अगस्त को टमाटर 263 रुपये प्रति किलो की भारी कीमत पर बिका है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, थोक व्यापारियों के हवाले से कहा गया है कि भविष्य में टमाटर की कीमतें 300 रुपये प्रति किलो तक भी पहुंच सकती हैं।