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क्‍यों डरी है सरकार, क्‍या दूसरी लहर की तरह भारत में लग सकता है सख्‍त लाकडाउन, जानें-एक्‍सपर्ट रिपोर्ट

Khushboo Dhruw
16 Jan 2022 6:58 PM GMT
क्‍यों डरी है सरकार, क्‍या दूसरी लहर की तरह भारत में लग सकता है सख्‍त लाकडाउन, जानें-एक्‍सपर्ट रिपोर्ट
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भारत में कोरोना संक्रमण की लहर बेकाबू होती जा रही है। देश में यह तीसरी लहर 20 दिनों से जारी है। 27 दिसंबर 2021 को देश में कोरोना के महज 6,780 नए मामले सामने आए थे।

Strict Lockdown in India: भारत में कोरोना संक्रमण की लहर बेकाबू होती जा रही है। देश में यह तीसरी लहर 20 दिनों से जारी है। 27 दिसंबर 2021 को देश में कोरोना के महज 6,780 नए मामले सामने आए थे। उधर, सिर्फ 20 दिन बाद यह आंकड़ा 2.68 लाख तक पहुंच गया। कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए कई राज्‍यों में रात्रि का कर्फ्यू, वर्क फ्राम होम, और स्‍कूलों में आनलाइन पढ़ाई शुरू हो गई है। फ‍िलहाल केंद्र सरकार और राज्‍य सरकारों ने सख्‍त लाकडाउन के कोई संकेत नहीं दिए हैं। कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए ऐसे में सवाल उठता है कि क्‍या देश में दूसरी लहर की तरह इस बार भी लाकडाउन लगेगा। आइए जानते हैं कि इन सब मामलों में एक्‍सपर्ट की क्‍या राय है।

1- गाजियाबाद स्थित यशोदा अस्‍पताल के एमडी डा पीएन अरोड़ा का कहना है कि ओमिक्रोन के कारण देश में कोरोना मरीजों की संख्‍या में काफी इजाफा हुआ है, लेकिन अभी तक डेल्‍टा वैरिएंट की तरह यह जानलेवा साबित नहीं हुआ है। यह एक राहत की बात है। यह वायरस का माइल्‍ड वैरिएंट है। ओमिक्रोन से मौत का खतरा काफी कम है। उन्‍होंने कहा कि अगर कोरोना की दूसरी लहर से तुलना किया जाए तो तीसरी लहर पांच गुना तेजी से फैली है। सात राज्यों में संक्रमण की विस्फोटक स्थिति बनी हुई है।
2- उन्‍होंने सवाल उठाते हुए कहा कि यदि केंद्र सरकार के पहले फार्मूले को देखा जाए तो देश में लाकडाउन की कितनी संभावना है। अगर पहले लाकडाउन के फार्मूले से चलें तो केंद्र सरकार को अब तक लाकडाउन लगा देना चाहिए। इससे संक्रमण की गति को नियंत्रित किया जा सकता है। तीसरी लहर के दौरान छह जनवरी तक केस डबल होने की रफ्तार 454 दिन पर आ गई और इस दौरान रोज आने वाले कोरोना संक्रमण के मामलों में 18 गुना बढ़ोत्तरी हुई है, लेकिन हालात अभी काबू में है। सरकार को इस बात से राहत है कि अस्‍पताल में मरीजों की आमद कम है।
3- डा अरोड़ा का कहना कि ओमिक्रोन लहर की पीक जनवरी के अंत और फरवरी की शुरुआत में आएगी। अगर पुराने डेटा पर गौर करें तो डेल्टा लहर की पीक में लोगों को जितना नुकसान हुआ था, ओमिक्रोन के दौरान वह स्थिति नहीं बनेगी। फिलहाल डेल्टा की पीक के मुकाबले देश में ओमिक्रोन के मामले 52 फसीद हैं। वहीं, मृत्यु दर केवल 3.3 फीसद ही है। ओमिक्रोन की पीक आने पर इन आंकड़ों में बढ़ोतरी जरूर होगी, लेकिन फिर भी डेल्टा की तुलना में मौतें कम ही होंगी।
4- उन्‍होंने कहा कि दिल्ली में ओमिक्रोन की पीक करीब है , लेकिन राहत की बात यह है कि अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की आमद कम हैं। केवल राजधानी दिल्‍ली की बात की जाए, तो यहां ओमिक्रोन की लहर 16 दिसंबर को आ गई थी। 13 जनवरी 2022 को दिल्ली के अस्पतालों में मरीजों की संख्या 2,969 थी। पिछली लहर की पीक में ये संख्या 21,154 थी। इसके अलावा, डेल्टा की तुलना में ओमिक्रोन होने पर होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों की संख्या में भी उछाल आया है। उन्‍होंने कहा कि सरकार का भी जोर है कि अधिकतर मरीजों को घर में ही आइसोलेशन में रहना चाह‍िए, जिससे अस्‍पतालों पर कम दबाव बनें।
देश में स्‍वास्‍थ्‍य का आधारभूत ढांचा मजबूत हुआ
दूसरी लहर की तुलना में इस वक्‍त देश में स्‍वास्‍थ्‍य का आधारभूत ढांचा मजबूत हुआ है। आज देश में करीब 18.03 लाख आइसोलेशन बेड का इंतजाम है। इसके अलावा 1.24 लाख आइसीयू बेड के इंतजाम है। देश में 3.236 आक्‍सीजन के प्‍लांट है। इनकी क्षमता 3,783 मीट्रिक टन है। 1,14 लाख आक्‍सीजन कंसंट्रेटर केंद्र ने राज्‍य सरकार को मुहैया कराए हैं। 150 करोड़ वैक्‍सीन के डोज दिए जा चुके हैं। इसमें 64 फीसद आबादी को एक डोज मिल चुकी है और 46 फीसद आबादी को वैक्‍सीन की दो डोज लग चुकी है। ऐसे में यह उम्‍मीद कम ही है देश में कठोर लाकडाउन की स्थिति बनेगी। फ‍िलहाल कुछ राज्‍यों को छोड़ दिया जाए तो स्थिति काबू में हैं। लाकडाउन से बचने के लिए हमें सरकार की गाइड लाइन और सुझावों पर कठोरता से अमल करना होगा। कोरोना प्रोटोकाल का कड़ाई से पालन करना होगा।
देश का होगा आर्थिक नुकसान
पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे 2019-20 के मुताबिक भारत में करीब 2,50,000 कैजुअल वर्कर्स हैं। इसके अलावा करीब 20 लाख सेल्फ-इम्प्लाइड लोग हैं। दोबारा लाकडाउन लगने से इन सेक्‍टर को भारी आर्थिक संकट से जूझना पड़ सकता है। इनमें से बहुत लोग पिछले लाकडाउन में होने वाले नुकसान से उबरे नहीं है। साथ ही लाकडाउन से सरकार का सिस्टम भी बिगड़ जाएगा। कारोबार बंद होंगे तो टैक्स कम आएगा। इससे केंद्र और राज्य सरकारों पर आर्थिक दबाव बनेगा।


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