
जीरो शैडो डे या शून्य छाया दिवस, यह सुनकर आप चौंकिए मत, क्योंकि यह एक दुर्लभ खगोलीय घटना को सजोने वाला दिन है। हमारा देश भी इसका साक्षी बन चुका है और भविष्य में बनने वाला है। ऐसे में हम आपको इस खास खगोलीय घटना से जुड़ा पूरा कट्ठा चिट्ठा बताएंगे।
क्या है जीरो शैडो डे?
जीरो शैडो डे या शून्य छाया दिवस (Zero Shadow Day) एक प्रकार की दुर्लभ खगोलीय घटना है। यह साल में दो बार ही घटित होती है। इस साल पहली बार अप्रैल में यह घटना घटित हो चुकी है और आगामी घटना अगस्त माह में घटित होगी।
जीरो शैडो डे के मौके पर पृथ्वी के कुछ क्षेत्रों में ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जब मनुष्यों को उन्हीं की परछाई बिल्कुल भी दिखाई नहीं देती है। ऐसा सिर्फ मनुष्यों के साथ ही नहीं बल्कि एक खास स्थान पर मौजूद किसी भी वस्तु की छाया नहीं दिखाई देती। आसान शब्दों में कहें तो सूर्य सीधे सिर के ऊपर मौजूद होता है, जिसकी वजह से जमीन में कोई भी छाया नहीं पड़ती है।
कर्क और मकर रेखा के पास स्थित क्षेत्रों में ही जीरो शैडो की स्थिति उत्पन्न होती है। ऐसे में लोग जीरो शैडो का अनुभव करते हैं, क्योंकि सूर्य की किरणें पृथ्वी की सतह के लगभग लंबवत होती हैं।
कब दिखेगा दुर्लभ नजारा?
इस साल अगस्त का महीना अपने आप में खास है, क्योंकि अगस्त में आसमान में कई दुर्लभ नजारे भी दिखाई देंगे। जिसमें सुपर मून और शनि ग्रह की चमकीला होना इत्यादि शामिल है। खैर हम तो बात जीरो शैडो डे की कर रहे हैं। ऐसे में अगस्त माह की 18 तारीख को किसी भी चीज की परछाई नहीं दिखाई देगी।
कब हुई थी खगोलीय घटना?
देश में ऐसे दो मौके उत्पन्न होते हैं, जब जीरो शैडो का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। इसकी तारीख और समय क्षेत्र के आधार पर अलग हो सकती है। अंतिम बार 25 अप्रैल को बैंगलोर में यह नजारा देखने को मिला था और अब एक बार भी इसके साक्षी बनने के लिए आप तैयार हो जाएं।
जीरो शैडो से जुड़े तथ्य
25 अप्रैल को जीरो शैडो का अनुभव करने वाला अक्षांश 130°N नजर आया।
बैंगलोर में 25 अप्रैल को तकरीबन दोपहर 12 बजकर 17 मिनट पर लोग इस अद्भुत दृश्य के साक्षी बने।
जीरो शैडो डे पर सूर्य की किरणें पृथ्वी पर एकदम लंबवत पड़ती हैं, ऐसे में परछाई हमारा साथ छोड़ देती है।
जीरो शैडो डे के मौके पर परछाई महज दिखाई नहीं देती, क्योंकि वह पैरों के बिल्कुल नीचे बनती है।
कर्क और मकर रेखा के बीच आने वाले इलाके में हमेशा जीरो शैडो डे होता है।
सूर्य के उत्तरायन और दक्षिणायन की स्थिति की वजह से जीरो शैडो डे दो बार आता है।
