भारत ने पिछले दिनों गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। इसे विश्व के कई देशों के लिए बड़ा झटका माना गया। भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है। भारत के इस कदम से वैश्विक मुद्रास्फीति और कई देशों में चावल की कमी की आशंका पैदा हो गई है। भारत दुनिया में 40 प्रतिशत चावल की निर्यात करता है। भारत के चावल 140 देशों में जाते हैं। भारत के गैर-बासमती सफेद चावल निर्यात के प्रमुख गंतव्यों में थाईलैंड, इटली, स्पेन, श्रीलंका और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। विश्व के लिए राहत की बात यह है कि भारत की ओर से गैर-बासमती उसना चावल और बासमती चावल की निर्यात नीति में कोई बदलाव नहीं किया गया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर भारत की ओर से यह कदम क्यों उठाया गया है?
भारत ने क्या कहा
खाद्य मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि सरकार ने आगामी त्योहारों के दौरान घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और खुदरा कीमतों को काबू में रखने के लिए यह कदम उठाया है। घरेलू बाजार में गैर-बासमती सफेद चावल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने और स्थानीय कीमतों में वृद्धि को कम करने के लिए भी यह कदम उठाया गया है। बताया जा रहा है कि चावल की खुदरा क़ीमतों में पिछले एक साल में 11.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। वहीं पिछले सिर्फ़ एक महीने के आंकड़े पर नजर डाले तो इसमें तीन प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। क़ीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए ही सरकार ने पिछले गैर-बासमती सफ़ेद चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाया था। सरकार को लगा था कि इस कदम से इसके निर्यात में कमी आएगी। हालांकि ऐसा हुआ नहीं।
अन्य कारण क्या
गैर बासमती सफ़ेद चावल का निर्यात जो 2021-2022 मार्च में 33.66 लाख टन पर था वह बढ़कर (सितंबर-मार्च) 2022-2023 में 42.12 लाख टन तक पहुंच गया। चालू वित्तवर्ष की पहली तिमाही में लगभग 15.54 लाख टन चावल का निर्यात किया गया, जो कि एक साल पहले की अवधि में केवल 11.55 लाख टन था। भारत से दूसरे देशों में चावल निर्यात पर प्रतिबंध के पीछे एक प्रमुख कारण यह भी है कि देश के कुछ हिस्सों में असमान वर्षा, जिसके कारण उत्पादन में कमी की चिंता पैदा हो गई है। निर्यात पर इस प्रतिबंध से देश में चावल की असमान और अपर्याप्त आपूर्ति पर अंकुश लगने की उम्मीद है। रूस-यूक्रेन युद्ध और खाद्य निर्यात श्रृंखलाओं के विघटन के साथ-साथ दुनिया भर में अप्रत्याशित मौसम और कई बाढ़ों के कारण खाद्य और अनाज की कीमतें पहले से ही लगातार बढ़ रही हैं। भारत के इस कदम से प्रमुख देशों में चावल की कीमतें गंभीर रूप से बढ़ सकती हैं।
भारत की चुनौती
अमेरिका भारत के प्रमुख चावल बाजारों में से एक है; अमेरिका और कनाडा ने 2022-23 में भारत से 64,330 टन गैर-बासमती चावल का आयात किया। इसलिए, अमेरिका में चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के भारत के फैसले के नतीजों को कोई भी समझ सकता है। भारत का चावल निर्यात अगले चार सबसे बड़े चावल निर्यातकों के निर्यात से बड़ा रहा है, और आवश्यक अनाज की आपूर्ति पर हालिया प्रतिबंध से 140 देशों में चावल की कीमतें बढ़ने की संभावना है, जिससे बड़ी मुद्रास्फीति के साथ-साथ अनाज की संभावित कमी भी हो सकती है। हालांकि भारत के लिए अपनी आबादी को भी चावल आपूर्ति कराना एक बड़ी चुनौती है। भारत जनसंख्या के हिसाब से बहुत विशाल है। महंगाई से लोगों पर सीधा असर पड़ता है। हाल के दिनों में खाद्य वस्तुओं की कीमतें लगातार पड़ी है। यही कारण है कि आम लोगों को राहत देने के लिए सरकार की ओर से यह कदम उठाया गया है।
किसका फायदा-किसका नुकसान
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने साफ तौर पर आशंका जाहिर की है कि भारत के इस फैसले के बाद वैश्विक खाद्य मुद्रास्फीति पर भी असर पड़ सकता है। हालांकि इस पर भी चर्चा तेज हो गई है कि भारत के इस निर्णय से किसका फायदा और किसका नुकसान होगा। विशेषज्ञों का दावा है कि निर्यात पर प्रतिबंध लगने के साथ ही उत्पाद की मांग कम हो जाती है जिसका सीधा असर किसानों पर होगा और उन्हें ऊंचे दाम नहीं मिलेंगे। इसके अलावा जो निर्यातक हैं उनके ऊपर भी इसका असर पड़ेगा क्योंकि उनकी रोजी-रोटी का सवाल है। वर्तमान में दुनिया की 42% चावल मार्केट पर भारत का कब्जा है। अगर यह प्रतिबंध लंबे समय तक चलता है तो कहीं ना कहीं यह भारत के हाथों से निकल सकता है। भारत के इस निर्णय के बाद थाईलैंड और वियतनाम के भी चावल के दाम बढ़ सकते हैं जिसका दुनिया पर सीधा असर होगा।
एक विशेषज्ञ ने तो यह भी कहा कि चावल के निर्यात में भारत की एक अच्छी साख बनी है इस प्रतिबंध से उसको धक्का लग सकता है। भारत के इस निर्णय से वियतनाम, पाकिस्तान और थाईलैंड जैसे देशों का फायदा होगा। उनके चावल की मांग विश्व में बढ़ेगी भारत के इस निर्णय से विदेशों में जमाखोरी की भी चिंताएं बढ़ गई हैं। भारत के चावल के दाम बढ़े हैं जिसका असर यह हो रहा है कि दुकानदारों की ओर से फेसबुक में रखने की कोशिश की जा रही है।