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IAS-IPS अफसरों की कुर्सियों पर क्यों रखी जाती है सफेद तौलिया? सोशल मीडिया पर यूजर्स के बीच छिड़ी बहस

jantaserishta.com
5 Feb 2022 12:13 PM GMT
IAS-IPS अफसरों की कुर्सियों पर क्यों रखी जाती है सफेद तौलिया? सोशल मीडिया पर यूजर्स के बीच छिड़ी बहस
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नई दिल्ली: IAS या IPS अधिकारियों की कुर्सी पर सफेद तौलिया क्यों होती है? इसको लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई. इसकी शुरुआत हुई एक IRTS ऑफिसर के ट्वीट से. IRTS ऑफिसर ने अपने ट्वीट में लिखा- 'यदि एक कमरे में 10 एक जैसी कुर्सियां हों तो सीनियर की कुर्सी में अंतर कैसे करें? उस पर सफेद तौलिया रख दें.' इस ट्वीट के बाद यूजर्स ने कमेंट्स कर प्रतिक्रियाएं देना शुरू कर दिया. कई अधिकारियों ने भी पोस्ट पर रिएक्ट किया.

दरअसल, IRTS ऑफिसर संजय कुमार (@Sanjay_IRTS) ने नौकरशाही (Bureaucracy) पर ट्वीट करते हुए कुर्सियों पर सफेद तौलिया रखने का जिक्र किया. इस पर एक यूजर ने पूछा- 'सर, सीनियरटी के प्रतीक के रूप में यह सफेद तौलिया भारतीय इनोवेशन है.'


इसके जवाब में IRTS ऑफिसर ने कहा- 'एक बार मेरे सीनियर ने मुझसे पूछा तौलिया नहीं है? मैंने कहा सर- कुर्सी साफ है.'
कैसे हुई कुर्सियों पर सफेद तौलिया रखने की शुरुआत?
IAS या IPS की कुर्सियों पर सफेद तौलिया रखने की शुरुआत कैसे हुई, इस बारे में IRS अधिकारी विकास प्रकाश सिंह (Vikas Prakash Singh) ने भी रिएक्ट किया.
उन्होंने लिखा- 'इसकी शुरुआत संभवतः ब्रिटिश काल में मोटे कुशन वाली कुर्सियों के जमाने से हुई होगी. Cooling Technology (AC वगैरह न होना) की अनुपस्थिति के चलते, पसीने से कुर्सी में नमी आ जाती थी. इसके लिए उसपर तौलिया रखकर बैठा जाता था. लेकिन बाद में ये स्टेटस सिंबल और परंपरा बन गई, जो आज तक जारी है.' कुल मिलाकर कुर्सी पर सफेद तौलिया रखने का चलन अंग्रेजों के जमाने में शुरू हुआ था.
लोगों ने क्या कहा?
IRTS ऑफिसर संजय कुमार के ट्वीट पर IAS सोमेश उपाध्याय (Somesh Upadhyay) ने भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल (@Somesh_IAS) से लिखा- 'सेंटर वाली कुर्सी भी.' यानी किसी कार्यक्रम में बीच वाली कुर्सी पर बैठना भी स्टेटस सिंबल हो चला है.


एक यूजर ने पूछा कि आखिर सफेद तौलिया ही क्यों. लाल, पीली, नीली या काली क्यों नहीं? तो एक अन्य यूजर ने कहा- तौलिया का भी अपना अलग एटीट्यूड है.
सर सभी महकमों का यही हाल है.
किसी ने कहा IAS या IPS अधिकारी नहीं सभी महकमों का यही हाल है. नेता लोग भी अछूते नहीं है.
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