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उत्तराखंड में अगला मुख्यमंत्री कौन? बीजेपी में सीएम फेस को लेकर खींचतान, इन नामों पर चर्चा
jantaserishta.com
17 March 2022 4:48 AM GMT
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नई दिल्ली: देश में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में से चार में बीजेपी को जीत मिली है. बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने गोवा, मणिपुर और उत्तर प्रदेश में विधायक मंडल दल के नेता का नाम तय कर दिया है, लेकिन उत्तराखंड पर अब भी सस्पेंस बरकरार है. पुष्कर सिंह धामी को मिली हार के चलते बीजेपी को अब सीएम चेहरा तलाशने के साथ-साथ कैबिनेट गठन और स्पीकर के नाम तय करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.
बता दें कि बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने गोवा की कमान फिर से प्रमोद सामंत और मणिपुर की सत्ता एन बीरेन सिंह को सौंपने की हरी झंडी दे दी है. उत्तर प्रदेश में भी योगी आदित्यनाथ का नाम लगभग तय है. ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि शीर्ष नेतृत्व उत्तराखंड में सीएम के चेहरे को लेकर कुछ संकेत साफ कर देगा, लेकिन अभी तक रहस्य बरकरार है. ऐसे में कोई कह रहा है कि केवल विधायकों में से ही सीएम होगा, इसलिए गैर विधायकों के नामों पर चर्चा नहीं होगी. तो कोई कह रहा कि पुष्कर धामी के चेहरे पर चुनाव लड़ा गया तो उन्हीं की ताजपोशी होगी.
वहीं, बीजेपी के केंद्रीय नेताओं से मंत्रणा करने के बाद उत्तराखंड के कार्यकारी सीएम पुष्कर सिंह धामी और बीजेपी अध्यक्ष मदन कौशिक समेत कई विधायकों के अपने-अपने चुनाव क्षेत्रों में पहुंचे है. ऐसे में उत्तराखंड में सीएम का चेहरा कौन होगा, इससे पर्दा अभी तक नहीं उठ पाया है. अब माना जा रहा है कि होली के बाद भी विधायक दल के नेता के नाम को ऐलान किया जाएगा.
उत्तराखंड में बीजेपी ने सत्ता में वापसी कर इतिहास रच दिया है, लेकिन सीएम पद से लेकर मंत्री पद तक के लिए नेता जोड़ तोड़ में जुटे हैं. ऐसे में क्षेत्रीय-जातीय समीकरणों की कसौटी पर कैबिनेट का गठन होना है. 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद बनी बीजेपी सरकार में पांच ब्राह्मण, पांच ठाकुर और दो अनुसूचित जाति समाज के विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. वहीं, क्षेत्रीय समीकरण के आधार पर गढ़वाल मंडल से भाजपा ने छह मंत्री बनाए थे तो पांच कुमाऊ मंडल से मंत्री थे.
उत्तराखंड मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए भाजपा में कई दिग्गज विधायक कतार में हैं. इनमें से कुछ उत्तराखंड गठन के बाद से जीत का पंच तो कुछ जीत का चौका लगा चुके हैं. इनमें बिशन सिंह चुफाल, बंशीधर भगत, प्रेमचंद अग्रवाल, मदन कौशिक, गणेश जोशी, चंदन राम दास, सहदेव पुंडीर के नाम प्रमुख हैं. वहीं, जिन्होंने दो या तीन बार चुनाव जीता है, पार्टी के ऐसे विधायकों की भी लंबी सूची है.
केंद्रीय नेतृत्व उत्तराखंड कैबिनेट गठन के मामले में चौंका भी सकता है. पुष्कर धामी की कैबिनेट में रहे यशपाल आर्य और हरक सिंह रावत के पार्टी छोड़ गए तो स्वामी यतीश्वरानंद हार चुके हैं. इस तरह से तीन मंत्री पद खाली हैं. वहीं, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, बंशीधर भगत, सुबोध उनियाल, डॉ. धन सिंह रावत, अरविंद पांडेय, बिशन सिंह चुफाल, रेखा आर्य, गणेश जोशी विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे, जिसके चलते उनकी दावेदारी मानी जा रही है.
ऐसे में कुछ नए चेहरे भी शामिल किए जा सकते हैं. विधानसभा चुनाव में बीजेपी का नए चेहरे को चुनाव लड़ाने का दांव सफल रहा है. ऐसे में इस बार अनुभव और युवा जोश का मिश्रण सदन में देखने को मिलेगा.
मुख्यमंत्री की कुर्सी दौड़ में शामिल दावेदारों की सूची लंबी होती जा रही है. विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने भी सीएम पद पर दावेदारी कर रहे हैं. उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वह चार बार के विधायक हैं और दावेदारी करने में कोई हर्ज नहीं है. बाकी पार्टी नेतृत्व को तय करना है, जो भी निर्णय होगा, वह सिर माथे पर होगा. सीएम की रेस में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, डॉ. धनसिंह रावत, ऋतु खंडूड़ी, रेखा आर्य, दिलीप सिंह रावत, गणेश जोशी के नाम की चर्चाएं हैं.
स्पीकर की कुर्सी पर ऐसे चेहरे को बैठाया जा सकता है जो अनुभवी होने के साथ संसदीय मामलों की जानकारी रखता हो. अध्यक्ष पद के लिए विधानसभा अध्यक्ष और चौथी बार विधायक चुने गए प्रेमचंद अग्रवाल, वरिष्ठ विधायक बंशीधर भगत, बिशन सिंह चुफाल और मुन्ना सिंह चौहान के नामों की चर्चाएं हैं. मंत्री न बनने की स्थिति में इन नामों पर पार्टी विचार कर सकती है. भाजपा नए फैसले लेने में चौंकाने में माहिर है.
हालांकि, बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को नेता का चुनाव कराने के लिए पर्यवेक्षक और केंद्रीय राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी को सह पर्यवेक्षक बनाया है जो होली के बाद देहरादून पहुंच जाएंगे. ऐसे में माना जा रहा है कि होली के बाद सीएम के नाम पर मुहर लगेगी.
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