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राहुल गांधी के करीबी ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद के बाद अब अगला कौन?

jantaserishta.com
9 Jun 2021 12:19 PM GMT
राहुल गांधी के करीबी ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद के बाद अब अगला कौन?
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फाइल फोटो 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की टीम का एक के बाद एक विकेट गिरता जा रहा है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद अब जितिन प्रसाद ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है. राहुल गांधी के करीबी सचिन पायलट उनसे किए गए वादे 10 महीने बाद भी पूरे नहीं होने पर नाराज हैं, जिनके समर्थन में पार्टी महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह भी आ गए हैं. ऐसे में कांग्रेस हाईकमान पर दबाव बढ़ गया है. जितिन की खबर आने के बाद सचिन पायलट ट्विटर पर भी टॉप ट्रेंड में बने हुए हैं. देखना ये है कि सचिन पायलट को पार्टी अपने साथ कैसे साधकर रखती है?

जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होते ही सचिन पायलट गुट के विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने कहा कि कांग्रेस में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं हो रही है. सचिन पायलट के साथ जो वादे किए गए थे, उन्हें आज तक पूरा नहीं किया गया. सुलह के लिए जो कमेटी बनाई गई थी, उस कमेटी ने कोई बैठक नहीं की. हम लोग प्रियंका गांधी से दिल्ली में मिले थे, तब बात हुई थी कि हमारी सुनवाई होगी, लेकिन अभी तक हमें बुलाया नहीं गया. हम खुद दो बार दिल्ली जाकर अपना दर्द बताकर आए हैं, लेकिन कोई सुन नहीं रहा.
बता दें कि पिछले साल अगस्त में सचिन पायलट के नेतृत्व में राजस्थान के कई कांग्रेस विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत का झंडा उठा लिया था. उस वक्त दोनों गुटों के नेताओं ने कई दिन तक होटल में अपने समर्थक विधायकों को बंद रखा था. इसके चलते सीएम गहलोत ने पायलट को डिप्टी सीएम पद से और उनके दो समर्थकों विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था. गहलोत सरकार को अस्थिर देखकर बीजेपी भी सक्रिय हो गई थी, लेकिन हाईकमान के दखल के बाद पायलट मान गए थे.
पायलट-गहलोत के बीच वर्चस्व की जंग खत्म करने के लिए एक सुलह कमेटी बनी, लेकिन अभी तक न तो पायलट के जिन सहयोगियों को मंत्री पद से हटाया गया उन्हें सरकार में वापस लिया गया और न ही सुलह कमेटी के सामने रखी गई मांगों पर कार्रवाई हुई. ऐसे में पायलट और उनके सहयोगियों के सब्र का बांध टूट रहा है. राजस्थान की राजनीति में अब 10 महीने बाद फिर से बगावत के सुर तेज हो रहे हैं.
सचिन पायलट ने मंगलवार को नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि 10 महीने हो गए हैं और उनसे किए वादे पूरे नहीं किए गए हैं. मुझे समझाया गया था कि सुलह कमेटी तेजी से एक्शन लेगी, लेकिन आधा कार्यकाल पूरा हो चुका है और वे मुद्दे अब भी अनसुलझे ही हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन कार्यकर्ताओं ने पार्टी को सत्ता में लाने के लिए रात-दिन मेहनत की और अपना सब कुछ लगा दिया, उनकी सुनवाई ही नहीं हो रही है.
सचिन पायलट के बयान से एक बार फिर कांग्रेस की अंदरूनी सियासत गर्मा गई है. पायलट का बयान ऐसे वक्त आया है जब उनके एक समर्थक हेमाराम चौधरी ने अपने इलाके के विकास के कामों की अनदेखी के मुद्दे पर इस्तीफा दे दिया. कांग्रेस आलाकमान की तरफ से कोई रास्ता नहीं निकलता देख कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह, सचिन पायलट के समर्थन में आ गए हैं.
भंवर जितेंद्र सिंह ने कहा है कि पार्टी हाईकमान ने सचिन पायलट से जो वादे किए थे वो पूरे करने चाहिए, ताकि पायलट अपने कार्यकर्ताओं को संतुष्ट कर सकें. हालांकि, उन्होंने कहा है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री बदलने जैसी कोई बात नहीं है और न ही सरकार पर कोई खतरा है, लेकिन पायलट से किए गए वादे पूरे होने चाहिए.
पायलट के पुराने दोस्त और राज्य के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का कहना है कि यह हमारा पारिवारिक मामला है. राजनीतिक पार्टियों में इस तरीके की बातें चलती रहती हैं, लेकिन सरकार को किसी भी तरीके की कोई दिक्कत नहीं है. सचिन पायलट के बयान पर कांग्रेस के सभी नेता बोलने से बच रहे हैं. राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने इस मामले पर नो कमेंट्स कहकर पल्ला झाड़ लिया.
गहलोत गुट ने जितिन प्रसाद पर तो हमला बोला, लेकिन सचिन पायलट वाले बयान पर चुप्पी साध ली. सीएम अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा कि ऐसे नेता आया राम-गया राम वाले होते हैं. जिन नेताओं की निष्ठा पार्टी के साथ होती है वह पार्टी के साथ जुड़े रहते हैं. कांग्रेस छोड़कर जो भी नेता बीजेपी में गए हैं, उन्हें कुछ नहीं मिला. बीजेपी में जाने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश में आज पांचवे-छठे नंबर के नेता भी नहीं है. जो कभी कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे.
सचिन पायलट ने इसी साल 14 अप्रैल को कहा था कि सुलह कमेटी में जिन तमाम मुद्दों पर सहमति बनी थी, उन पर अब कार्रवाई होनी चाहिए. मुझे नहीं लगता कि अब कोई ऐसा कारण है कि उस कमेटी के निर्णयों के क्रियान्वयन में और अधिक देरी हो. पायलट ने कहा था कि मुझे सोनिया गांधी पर पूरा विश्वास है, उनके आदेश पर ही कमेटी बनी थी.
सचिन पायलट ने कहा था कि जहां तक मेरा अपना मानना है कि सरकार को ढाई साल हो चुके हैं, घोषणा पत्र में जो वादे किए थे, कुछ पूरे भी किए हैं और बचे हुए कार्यकाल में वादों को पूरा करने के लिए और गति से काम करना होगा. इसमें राजनीतिक नियुक्तियां हैं, मंत्रिमंडल का विस्तार है. उसमें पार्टी और सरकार मिलकर एकराय बनाएंगे. रमेश मीणा और अन्य विधायकों के दलित आदिवासी विधायकों के साथ भेदभाव का मुद्दा उठाने पर पायलट ने समर्थन किया. पायलट के बाद उनके समर्थक विधायक भी उनके सुर में सुर मिला रहे हैं. ऐसे में देखना है कि राहुल टीम के दो विकेट गिरने के बाद कांग्रेस हाईकमान अब किस तरह से पायलट को साधकर रखता है..
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