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जो देरी से आयकर जमा करते

Sonam
23 July 2023 3:21 AM GMT
जो देरी से आयकर जमा करते
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वित्त वर्ष 23 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने की आखिरी तारीख अब बस आने वाली है। आईटीआर फाइल करने की लास्ट डेट 31 जुलाई 2023 है।

ऐसे में अगर आपने अभी तक अपना आईटीआर फाइल नहीं किया है तो जल्द से जल्द कर दें नहीं तो आपको कई सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

31 जुलाई के बाद क्या है है विकल्प

वैसे तो आपको अपना रिटर्न 31 जुलाई तक फाइल कर लेना चाहिए लेकिन अगर आप किसी कारण से अपना आईटीआर तय सीमा तक फाइल करने में असमर्थ है तो आप विलंबित रिटर्न दाखिल कर सकते हैं जो 31 दिसंबर, 2023 तक उपलब्ध है। हालांकि आपको कुछ वित्तीय नुकसान उठाना पड़ सकता है चलिए जानते हैं:

देनी पड़ेगी पेनाल्टी

5 लाख रुपये से अधिक की कुल आय वाले व्यक्तियों के लिए देर से फाइलिंग पर 5000 रुपये का जुर्माना लगता है। वहीं 5 लाख रुपये तक कुल आय वाले व्यक्तियों के लिए जुर्माना 1000 रुपये है। अगर आप 31 दिसंबर 2023 के बाद आईटीआर फाइल करते हैं तो आपको 10,000 रुपये का जुर्माना देना होगा।

इसके अलावा आय की कम रिपोर्टिंग के लिए 50 प्रतिशत तक और आय की गलत रिपोर्टिंग के लिए 200 प्रतिशत तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

लगेगा ब्याज

यदि कर देय हैं, तो नियत तिथि तक रिटर्न दाखिल करने में विफलता पर रिटर्न दाखिल होने तक प्रति माह 1 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज लगेगा।

नई व्यवस्था का लाभ नहीं होगा लागू

वेतनभोगी कर्मचारी नई कर व्यवस्था का विकल्प नहीं चुन सकते हैं, और यदि वे नियोक्ता के साथ इसका विकल्प चुनते हैं, तो देर से दाखिल करने पर अतिरिक्त कर और ब्याज देना होगा।

देनी पड़ेगी पेनाल्टी

5 लाख रुपये से अधिक की कुल आय वाले व्यक्तियों के लिए देर से फाइलिंग पर 5000 रुपये का जुर्माना लगता है। वहीं 5 लाख रुपये तक कुल आय वाले व्यक्तियों के लिए जुर्माना 1000 रुपये है। अगर आप 31 दिसंबर 2023 के बाद आईटीआर फाइल करते हैं तो आपको 10,000 रुपये का जुर्माना देना होगा।

इसके अलावा आय की कम रिपोर्टिंग के लिए 50 प्रतिशत तक और आय की गलत रिपोर्टिंग के लिए 200 प्रतिशत तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

लगेगा ब्याज

यदि कर देय हैं, तो नियत तिथि तक रिटर्न दाखिल करने में विफलता पर रिटर्न दाखिल होने तक प्रति माह 1 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज लगेगा।

नई व्यवस्था का लाभ नहीं होगा लागू

वेतनभोगी कर्मचारी नई कर व्यवस्था का विकल्प नहीं चुन सकते हैं, और यदि वे नियोक्ता के साथ इसका विकल्प चुनते हैं, तो देर से दाखिल करने पर अतिरिक्त कर और ब्याज देना होगा।

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