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Delhi: छोड़े गए सफेद बाघ के शावक, कर सकेंगे दीदार, VIDEO

jantaserishta.com
20 April 2023 9:53 AM GMT
Delhi: छोड़े गए सफेद बाघ के शावक, कर सकेंगे दीदार, VIDEO
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नई दिल्ली (आईएएनएस)| नई दिल्ली के राष्ट्रीय प्राणी उद्यान में गुरूवार को सफेद बाघ के बाड़े में सफेद बाघ के दो शावकों को छोड़ा गया। इनमें मादा शावक का नाम 'अवनी' रखा गया है जिसका अर्थ है पृथ्वी है। वहीं नर शावक का नाम 'व्योम' रखा जिसका अर्थ आकाश है। ये दोनों शावक, बाघ पिता विजय और माता बाघिन सीता की संताने हैं।
केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के मुताबिक बाघिन सीता ने 24 अगस्त 2022 को इन शावकों को जन्म दिया था। अब ये दोनों शावक, एक नर और एक मादा, करीब 8 महीने के हो चुके हैं। इन शावकों को अब तक रात्रि आश्रय में और दिन के समय मां के साथ उसके बाड़े में रखा जाता था। चूंकि शावकों को घूमने-फिरने के लिए अधिक क्षेत्र की आवश्यकता होती है, इसलिए उन्हें बड़े क्षेत्र वाले बाड़े में छोड़ा जा रहा है जहां से दर्शक भी उनको देख सकते हैं।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने यादव ने सफेद बाघ के बाड़े में शावकों को छोड़ा। उन्होंने मिशन लाइफ को बढ़ावा देने के लिए स्कूली बच्चों के साथ बातचीत करते हुए स्थायी जीवन शैली और प्राकृतिक संसाधन संरक्षण के महत्व को साझा किया। विभिन्न स्कूलों के लगभग 100 छात्रों और कर्मचारियों के समूह ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देने के प्रति उत्साहपूर्वकअपना भाव व्यक्त किया। सफेद बाघ के शावकों को इस बाड़े में छोड़े जाने के बाद स्कूली छात्रों के लिए जू वॉक का भी आयोजन किया गया।
गौरतलब है कि इसके अलावा पीम मोदी के नेतृत्व में शुरू किया गया 'प्रोजेक्ट चीता' कूनो नेशनल पार्क में एक और मील के पत्थर पर पहुंच गया। 18 फरवरी को मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में 12 चीतों को छोड़ा गया था। दक्षिण अफ्रीका से यह 12 चीते भारत लाए गए थे। अफ्रीका से लाए गए चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित किया गया। दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को ग्वालियर और उसके बाद हेलीकाप्टरों के माध्यम से कूनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित करने का काम भारतीय वायु सेना द्वारा किया गया था।
इससे पहले 17 सितंबर, 2022 को आठ चीतों को नामीबिया से भारत लाया गया था। इन चीतों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने क्वारंटाइन बोमास में छोड़ा था। अनिवार्य क्वारंटाइन अवधि के बाद इन चीतों को चरणबद्ध तरीके से बड़े बाड़े में छोड़ दिया गया था।
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