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जहां नहीं पहुंच सके अखिलेश और प्रियंका वहा पहुंचे टीएमसी सांसद... किसानों के परिवारों से की मुलाकात
Ritisha Jaiswal
5 Oct 2021 5:45 PM GMT
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टीएमसी सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को लखीमपुर हिंसा में मारे गए किसानों के परिवारों से मुलाकात की।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | टीएमसी सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को लखीमपुर हिंसा में मारे गए किसानों के परिवारों से मुलाकात की। अब सवाल ये है कि जहां सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी नहीं पहुंच सकी, टीएमसी सांसद आसानी से कैसे पहुंच गए? उन्होंने हिंसा में मारे गए किसानों के परिवारों से भी मुलाकात की। टीएमसी सांसदों का दावा है कि उन्होंने पर्यटक बनकर पुलिसकर्मियों को चकमा दिया। टीएमसी के प्रतिनिधिमंडल में सांसद काकोली घोष दस्तीदार, सुष्मिता देव, अबीर रंजन विश्वास, प्रतिमा मंडल और डोला सेन शामिल थे।
टीएमसी नेताओं ने पीटीआई को दिए एक बयान में दावा किया कि पुलिस द्वारा रोके जाने पर उन्होंने खुद को पर्यटक बताया। टीएमसी नेता डोला सेन ने कहा कि वे रविवार से लखीमपुर खीरी पहुंचने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वे लखीमपुर दो दिन में पहुंचे। उन्होंने पलिया तहसील में मृतक किसान लवप्रीत सिंह (19) के परिजनों से मुलाकात की। जबकि दूसरे मृत किसान के रिश्तेदारों से मिलने वे धौरहरा तहसील गए। दोनों का अंतिम संस्कार उनके पैतृक स्थानों पर किया गया है।
हाल ही में कांग्रेस से टीएमसी ज्वाइन करने वाली राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव ने कहा, "लखीमपुर खीरी में मारे गए युवा किसानों के परिवार से मिलकर दिल टूट रहा है।" सांसद ने कहा, " पार्टी अध्यक्ष ममता बनर्जी काले कानूनों को निरस्त करने और भाजपा सरकारों के अन्यायों को रोकने के लिए किसानों के साथ खड़ी हैं। उन्होंने सिंगूर में लड़ाई लड़ी और भारत के किसानों के लिए लड़ाई जारी रखने का आश्वासन दिया।"
लोकसभा सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने कहा, "आरोपी एक राजनेता का बेटा है, उसने किसानों की हत्या की है और उसे दंडित किया जाना चाहिए। भारत एक लोकतांत्रिक देश है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से देश से लोकतंत्र ही गायब है।" दस्तीदार ने कहा, "भाजपा एक निरंकुश सरकार की तरह शासन कर रही है। वे आरोपियों को छोड़कर बाकी निर्दोषों को सलाखों के पीछे डाल रहे हैं। उन्होंने पीएम मोदी पर भी निशाना साधा, कहा कि प्रधानमंत्री मोदी लखनऊ में हैं, पर वह लखीमपुर-खीरी नहीं गए। इससे सरकार की मंशा पता लगती है।''
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