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जब चीजें गलत होंगी तो न्यायपालिका खड़ी होगी, 4.5 करोड़ पेंडिंग केस पर बोले CJI जस्टिस रमणा

jantaserishta.com
17 July 2021 4:22 PM GMT
जब चीजें गलत होंगी तो न्यायपालिका खड़ी होगी, 4.5 करोड़ पेंडिंग केस पर बोले CJI जस्टिस रमणा
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भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा (CJI NV Ramana) ने आज शनिवार को कहा कि अनुमानित आंकड़ों के लिहाज से भारतीय अदालतों में पेंडिग केसों की संख्या 4.5 करोड़ तक पहुंच गई है, और ऐसा इसलिए है क्योंकि अदालतें इसको संभाल नहीं पातीं.

सीजेआई ने यह बात "मेकिंग मीडिएशन मेनस्ट्रीम: रिफ्लेक्शन फ्रॉम इंडिया एंड सिंगापुर" शीर्षक वाले भारत-सिंगापुर मध्यस्थता शिखर सम्मेलन के दौरान दिए गए अपने संबोधन में कही. उन्होंने कहा कि बढ़ते केसों से निपटने में नाकामी भारतीय न्यायपालिका की अक्षमता के रूप में माना जाता है, जो एक "ओवरस्टेटमेंट" और एक "कठोर विश्लेषण" (uncharitable analysis) है और केस के बढ़ते मामलों की वजह से न्यायिक देरी "शानदार मुकदमेबाजी" (luxurious litigation) भी है.
उन्होंने कहा कि यह कठोर विश्लेषण है. कल दर्ज हुए केस को भी इसमें जोड़ दिया जाता है. इसलिए भारतीय न्यायिक तंत्र कैसा काम कर रही है, इसको जांचने का यह उपयोगी पैमाना नहीं है. हालांकि न्यायिक देरी का मुद्दा जटिल समस्या है और यह सिर्फ भारत में ही नहीं है.
महाभारत काल में मध्यस्थता की शुरुआत
जस्टिस एनवी रमणा ने कहा कि राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक सहित कई कारणों से किसी भी समाज में संघर्ष अपरिहार्य है, और संघर्ष समाधान के लिए तंत्र विकसित करने की जरूरत है. केस के समाधान के लिए उन्होंने महाभारत का जिक्र किया.
महाभारत में संघर्ष समाधान के लिए मध्यस्थता को शुरुआती प्रयास का जिक्र करते हुए जस्टिस रमणा ने कहा कि भगवान कृष्ण ने पांडवों और कौरवों के बीच विवाद खत्म करने को लेकर मध्यस्थता करने का प्रयास किया था. महाभारत में मध्यस्थता की विफलता के कारण ही विनाशकारी परिणाम हुआ था.
मुख्य न्यायाधीश ने इस विरोधात्मक व्यवस्था में न्यायाधीशों के रवैये पर एक मजेदार किस्सा भी साझा किया. उन्होंने कहा कि जब एक जज सुबह की कॉफी की चुस्की ले रहा था और अखबार के पन्नों को पलट रहा था. इस बीच उसकी पोती आई उसने कहा, "दादा जी, मेरी बड़ी बहन ने मेरा खिलौना छीन लिया है," इस पर जज की तत्काल प्रतिक्रिया थी "क्या आपके पास कोई सबूत है?"
उन्होंने कहा कि मध्यस्थता भारतीय जनमानस में गहराई से अंतर्निहित है और भारत में ब्रिटिश शासन से पहले प्रचलित थी.
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