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जब 20 साल बाद ससुराल लौटी महिला, फिर जो हुआ...

jantaserishta.com
13 July 2022 9:35 AM GMT
जब 20 साल बाद ससुराल लौटी महिला, फिर जो हुआ...
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

महराजगंज: मेले में बिछड़े परिजनों के सालों बाद मिलने के कई कहानियां अक्सर सुनने को मिलती हैं. ऐसी ही कहानी महराजगंज में सामने आई है. दरअसल, सालों पहले मियां-बीवी के रिश्तों में कड़वाहट इस कदर आई कि दोनों दूर हो गए. कई साल बीतने के बाद अब दोबारा मियां-बीवी एक हुए. खास बात है कि दोनों ने 20 साल पहले अलग होने के बाद भी शादी नहीं की थी.

सालों बाद मियां-बीवी का मिलन एक महिला ने कराया. पहले दोनों से अलग-अलग मिली. उनसे बात की. फिर दोनों की मोबाइल पर बात कराई. इससे दोनों के रिश्ते पर जमीं बर्फ तेजी से पिघलने लगी. 20 साल बाद महिला अपने मायके से बेटे के साथ ससुराल पहुंची तो पति की आंख से आंसू छलक आया. पति ने पत्नी को माला पहनाकर अपना लिया.
मामला कुशीनगर जनपद के छितौनी कस्बे का है. यहां के निवासी रामजस मद्धेशिया की पहली पत्नी का देहांत हो गया था. परिवार में दो छोटे बच्चे थे. बेटा दिव्यांग था. बच्चों की परवरिश व घर-गृहस्थी चलाने के लिए रिश्तेदारों ने रामजस को दूसरी शादी करने की सलाह दी. उस समय रामजस की उम्र करीब चालीस साल थी.
लोगों के समझाने के बाद वह शादी के लिए तैयार हुए. रिश्ता ढूंढने की बात चलने लगी. नेपाल के कुसुम्हा में मंशा नाम की एक महिला रामजस से शादी के लिए तैयार हुई. मंशा की भी शादी हो चुकी थी. रिश्तें में दरार आने के बाद वह अपने पहले पति से अलग रहने लगी थी. साल 2002 में रामजस व मंशा की शादी हुई.
दुल्हन बन कर मंशा ससुराल आई. तीन माह तक वह पति के साथ ससुराल में रही. गर्भवती होने पर मायके चली गई. इसी दौरान किसी बात को लेकर दोनों के बीच मनभेद हो गया. रामजस कई बार ससुराल गए, लेकिन मंशा उनके साथ नहीं आई. फिर रामजस ने ससुराल जाना ही छोड़ दिया. दोनों बच्चों का परवरिश कर उनकी शादी की और बहू भी आ गई.
रामजस व्यवसाय में व्यस्त हो गए. मंशा ने भी बेटे को जन्म दिया. उसे पढ़ा-लिखाया. पति-पत्नी के बीच दो दशक की जुदाई के अंत का सिलसिला बीते खिचड़ी मेला से शुरू हुआ. रामजस के छोटे भाई की बहू नेपाल के गोपलापुर के खिचड़ी मेले में गई थी. वह महराजगंज की रहने वाली थी. वहां बहू की मुलाकात बड़े ससुर की दूसरी पत्नी मंशा से हो गई.
बातचीत शुरू हुआ तो मंशा, रामजस के बारे में हाल-चाल पूछने लगी. ससुर के प्रति सास का भावनात्मक लगाव देख बहू के मन में उम्मीद की किरण जगी कि अगर पहल किया जाए तो दोनों बुढापे में एक-दूसरे का सहारा बन सकते हैं. परिचय व बातचीत में मंशा ने बताया कि उसने फिर शादी नहीं की, रामजस के नाम का ही सिन्दूर वह अपने मांग में भरती है.
इसके बाद बहू ने बड़े ससुर व सास को फिर से मिलाने का संकल्प ले लिया. मंगलवार को दो दशक के इंतजार की घड़ी खत्म हुई. मंशा अपने बेटे के साथ ससुराल पहुंची, जहां रामजस ने अपने बेटे-बहू के साथ मंशा का स्वागत-सत्कार किया. बेटे व बहू को भी सौतेली सास के प्रति कोई नाराजगी नहीं थी. साठ साल के उम्र में पति-पत्नी मिले. सभी गिले-शिकवे दूर हुए.
साभार: आजतक
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