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जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ...यह आतंकवाद से कम जघन्य अपराध नहीं है, जानें पूरा मामला
jantaserishta.com
28 July 2022 3:49 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) केस में अपने फैसले में कहा कि गंभीर अपराध से निपटने के लिए कड़े कदम जरूरी हैं. मनी लॉन्ड्रिंग ने आतंकवाद को भी बढ़ावा दिया है, यह आतंकवाद से कम जघन्य अपराध नहीं है. कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग न केवल एक राष्ट्र के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को प्रभावित करता है, बल्कि आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी जैसे गंभीर अपराधों को भी बढ़ावा देता है.
शीर्ष अदालत ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 को लेकर कहा कि यह मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों के विषय से निपटने के लिए एक विशेष कानून है, जिसका वित्तीय प्रणालियों पर अंतरराष्ट्रीय प्रभाव पड़ता है जिसमें देशों की संप्रभुता और अखंडता शामिल है. PMLA के कुछ प्रावधानों की वैधता को बरकरार रखते हुए न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने और अपराध की आय संबंधित गतिविधियों में शामिल लोगों पर मुकदमा चलाने के लिए एक व्यापक कानून की तत्काल आवश्यकता को संबोधित करने के लिए बनाया गया था.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि यह कोई सामान्य अपराध नहीं है. पीठ ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए एक व्यापक कानून बनाने की आवश्यकता दुनिया भर में महसूस की गई क्योंकि उनकी अखंडता और संप्रभुता सहित देशों की वित्तीय प्रणालियों के लिए गंभीर खतरा है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय निकायों ने भी कड़े कानून बनाने की सिफारिश की है. अंतरराष्ट्रीय निकाय काफी समय से नियमित आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग के खतरे पर चर्चा कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि PMLA की प्रस्तावना से स्पष्ट है कि यह कानून मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने और इसमें शामिल संपत्ति की जब्ती के लिए बनाया गया है. इसमें कहा गया है कि यह अधिनियम न तो शुद्ध नियामक कानून है और न ही शुद्ध दंडात्मक कानून है, बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग के संकट को दूर करने के लिए आवश्यक कई पहलुओं का एक मिश्रण है.
कोर्ट ने कहा कि अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों को चुनौती देने पर विचार करते हुए अदालत इस तरह के एक विशेष कानून को लागू करने के उद्देश्यों, कारणों और इससे निपटने वाले मुद्दों की गंभीरता से अनजान नहीं हो सकती है. SC ने फैसला सुनाते हुए कहा कि दुनिया भर में मान्यता प्राप्त मनी लॉन्ड्रिंग के संकट से निपटने के लिए और इससे सख्ती से निपटने की आवश्यकता के साथ एक विशेष तंत्र देने के लिए विधायी मंशा को ध्यान में रखते हुए PMLA के प्रत्येक प्रावधान को उचित महत्व दिया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि जैसे-जैसे दुनिया डिजिटल युग में आगे बढ़ी, अपराधियों ने लॉन्ड्रिंग के नए तरीके खोजे और कानून ने उनसे निपटने के नए तरीके खोजे. आज जैसा कि हम देखेंगे, 2002 अधिनियम में कई संशोधन FATF की सिफारिशों के जवाब में हैं. FATF एक अंतर सरकारी संगठन है जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग का मुकाबला करना है. शीर्ष अदालत ने बुधवार को PMLA के कुछ प्रावधानों की व्याख्या से संबंधित कई याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया. इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल संपत्ति को जब्त करने, गिरफ्तारी, तलाशी की शक्तियों को बरकरार रखा.
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