x
एक मामले की वर्चुअल सुनवाई के दौरान खराब कनेक्टिविटी होने पर सख्त टिप्पणियां करने वाले कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य ने अब उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस और कोर्ट प्रशासन के खिलाफ ही आदेश पारित कर दिया है। दरअसल 16 जुलाई को जिस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस ने कनेक्टिविटी को लेकर टिप्पणी की थी, उसे चीफ जस्टिस ने डिविजन बेंच को ट्रांसफर कर दिया है। इसे लेकर ही उन्होंने चीफ जस्टिस और कोर्ट प्रशासन के खिलाफ आदेश पारित किया है। भट्टाचार्य ने 10 पन्नों के अपने आदेश में एक्टिंग चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और कोर्ट प्रशासन की आलोचना की है।
जस्टिस भट्टाचार्य ने सोमवार को पारित आदेश में कहा कि कार्यवाहक चीफ जस्टिस या फिर चीफ जस्टिस रोस्टर बनाने के अधिकारी होते हैं और वह कोर्ट का प्रशासन तय करते हैं। लेकिन इस बात में संदेह है कि क्या वह अपनी प्रशासनिक क्षमता के तहत रातोंरात किसी मामले को दूसरी बेंच या जज को सौंप सकते हैं। जज ने कहा कि चीफ जस्टिस मास्टर ऑफ रोस्टर होते हैं, लेकिन इसका अर्थ मास्टर ऑफ ऑल नहीं हो सकता है। जज की ओर से दिया गए इस आदेश की कॉपी सोमवार रात को हाई कोर्ट की वेबसाइट पर भी अपलोड हुई है।
जज ने अपने आदेश में कहा कि मेरे आदेश पर असिस्टेंट कोर्ट ऑफिसर ने रजिस्ट्रार जनरल को बताया है कि उनके पास यह ताकत नहीं है कि वह यह तय कर सकें कि कौन सा केस किस बेंच को सौंपा जाएगा। जज ने अपने आदेश में गहरा तंज कसते हुए कहा, 'चुत्जपा को शीर्ष संस्थानों में बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए। लेकिन पारदर्शिता का अभाव समस्याएं पैदा करता है और यह न्यायिक व्यवस्था के लिए सही नहीं है।'
जज ने कहा कि मैं उस वक्त हैरान रह गया, जब मेरे अधिकारी ने बताया कि मैं जिस केस की सुनवाई कर रहा था, उसे डिविजन बेंच को सौंप दिया गया है। जज ने कहा कि यह फैसला भी कार्यवाहक चीफ जस्टिस के आदेश पर लिया गया, जो कोलकाता में पारिवारिक कारण से मौजूद नहीं थे। लेकिन वॉट्सऐप के जरिए यह जानकारी दी गई और वही मुझे भी फॉरवर्ड किया गया।
jantaserishta.com
Next Story