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जब उच्च न्यायालय ने कहा- सरकारी कार्यालयों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार है...जानें पूरी बात
jantaserishta.com
20 Aug 2022 11:43 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
जानें पूरा मामला।
नई दिल्ली: कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने बैंगलोर विकास प्राधिकरण (बीडीए) के एक अधिकारी को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि 'सरकारी कार्यालयों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार है.' उच्च न्यायालय के जज के नटराजन ने याचिकाकर्ता बीडीए में सहायक इंजीनियर बी टी राजू को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा ''आजकल, सरकारी कार्यालय में भ्रष्टाचार चरम पर और बिना रिश्वत के कोई भी फाइल आगे नहीं बढ़ाई जाती.'' इसलिए, मेरा विचार है कि याचिकाकर्ता जमानत का हकदार नहीं है.
दरअसल, बैंगलोर विकास प्राधिकरण (बीडीए) ने कथित तौर पर बिना उचित अधिग्रहण के सुवलाल जैन और सुरेश चंद जैन की जमीन का इस्तेमाल सड़क बनाने के लिए किया था. जीपीए (जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी) धारक मंजूनाथ द्वारा भूमि के बदले वैकल्पिक साइट के लिए एक आवेदन दायर किया गया था. जिसे लेकर बीडीए में सहायक अभियंता बी टी राजू ने कथित तौर पर एक करोड़ रुपये की रिश्वत की मांग की थी. फिर 60 लाख रुपये में बात पक्की हो गई थी. सात जून, 2022 को पांच लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे एसीबी ने राजू को रंगे हाथ पकड़ा था.
मंजूनाथ द्वारा आवेदन नवंबर 2021 में बीडीए के समक्ष दायर किया गया था. जिसे अतिरिक्त भूमि अधिग्रहण अधिकारी और उसके बाद सर्वेयर और फिर कार्यकारी अभियंता (पश्चिम) और अंत में इंजीनियर बी टी राजू राजू के समक्ष तीन जनवरी, 2022 को स्थानांतरित कर दिया गया था. जिसके बाद राजू ने कथित तौर पर फाइल को छह महीने तक लंबित रखा था. रिश्वत की मांग की और रिश्वत लेते वक्त एसीबी ने रंग हाथ राजू को गिरफ्तार किया था. एसीबी ने राजू को कार में रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था. राजू की रिश्वत मांगते हुए की एक कॉल रिकॉर्डिंग भी एसीबी को मिली थी.
हाई कोर्ट ने राजू की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा, "टेलीफोन पर बातचीत और एसीबी द्वारा रंगे हाथ गिरफ्तारी से पता चलता है कि याचिकाकर्ता ने रिश्वत को स्वीकार किया था, जिसमें पुलिस ने फिनोलफथेलिन पाउडर लगाया था."
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