भारत

जब हाईकोर्ट ने कहा- शादीशुदा महिला को घर का काम करने के लिए कहना क्रूरता नहीं, जानें पूरा मामला

jantaserishta.com
27 Oct 2022 12:10 PM GMT
जब हाईकोर्ट ने कहा- शादीशुदा महिला को घर का काम करने के लिए कहना क्रूरता नहीं, जानें पूरा मामला
x

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक 

महिला को शादी से पहले यह बताना होगा कि वह घरेलू काम नहीं करेगी.
मुंबई: अगर किसी विवाहित को घरेलू काम करने के लिए कहा जाता है तो इसे घरेलू नौकर के काम के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए. यह महिला के साथ क्रूरता नहीं है. बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने कहा कि अगर महिला घर का काम नहीं करना चाहती, तो महिला को शादी से पहले यह बताना होगा कि वह घरेलू काम नहीं करेगी.
न्यायमूर्ति विभा कंकनवाड़ी और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की पीठ ने यह फैसला दिया. बेंच ने कहा, "अगर एक विवाहित को घरेलू काम करने के लिए कहा जाता है, तो निश्चित रूप से परिवार के लिए कहा जाता है. इसे नौकर की तरह नहीं कहा जा सकता है."
न्यायाधीशों ने कहा, "अगर महिला को अपने घर का काम करने की कोई इच्छा नहीं है, तो उसे शादी से पहले ही यह बता देना चाहिए था. ताकि दूल्हा खुद शादी के बारे में सोच सके. अगर यह स्थिति शादी के बाद बनती है, तो इस तरह की समस्या को पहले सुलझा लिया जाना चाहिए था." पीठ एक व्यक्ति और उसके परिवार के सदस्यों द्वारा दायर की गई याचिका की सुनवाई कर रही थी.
परिवार ने यह याचिका महिला की ओर से दर्ज कराए गए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए के तहत क्रूरता के मामले के खिलाफ डाली थी. 498ए निर्दिष्ट करता है कि यदि पति या पति के रिश्तेदार पत्नी के साथ क्रूरता करता है, तो उन्हें तीन साल तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
धारा 498ए के अलावा, महिला ने पति पर आईपीसी की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 504 (जानबूझकर अपमान करना) और 506 (आपराधिक धमकी) देने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया गया था.
महिला ने महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के भाग्यनगर थाने में अपने ससुराल पक्ष और पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. महिला ने आरोप लगाया था कि शादी के बाद एक महीने तक उसके साथ ठीक से व्यवहार किया गया. मगर, उसके बाद पति और ससुराल के लोगों ने उसके साथ नौकर की तरह व्यवहार करना शुरू कर दिया.
महिला ने यह भी आरोप लगाया था कि ससुराल वाले और पति ने चार पहिया वाहन खरीदने के लिए 4 लाख रुपए की मांग करने लगे थे. इतना पैसा देने में उनके पिता सक्षम नहीं थे. महिला ने दावा किया कि इसके बाद पति ने उसे पीटा और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया.
पति और उसके परिवार ने पीठ को बताया कि महिला कि पहले भी शादी हो चुकी थी. उसने अपने पहले पति के खिलाफ इसी तरह के आरोप लगाए थे और इसी तरह की यातनाओं की कहानियां कोर्ट को सुनाई थीं. शख्स ने बताया कि महिला के पहले पति को कोर्ट ने बरी कर दिया है.
इस पर पीठ ने कहा कि पहले की शिकायतों से यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि पत्नी को आरोप लगाने और पैसे ऐंठने की आदत थी. पति द्वारा दी गई इस तरह की दलील को साबित किया जाना चाहिए। हालांकि, पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि केवल 'मानसिक और शारीरिक' उत्पीड़न शब्द का इस्तेमाल भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के तत्वों को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त नहीं है, जब तक कि इस तरह के कृत्यों का वर्णन नहीं किया जाता है.
Next Story