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जब हाई कोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर की कड़ी टिप्पणी, कहा- पुलिस को कानून तक नहीं मालूम
jantaserishta.com
11 Jan 2022 11:58 AM GMT
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जानें पूरा मामला।
रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने एक हैवियस कॉर्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) मामले की सुनवाई करते हुए राज्य की पुलिस की कार्यशैली पर कड़ी टिप्पणी की है। जस्टिस एस चंद्रशेखर और रत्नाकर भेंगरा की अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि झारखंड पुलिस भी कानून पूरी तरह से नहीं जानती है। कानून के प्रति पुलिस वालों को ट्रेंड करना चाहिए। ऐसे में जरूरी है कि सरकार पुलिस को कैप्सूल कोर्स कराए। मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा बोकारो से एक लॉ के छात्र को गिरफ्तार कर ले जाने के मामले में कोर्ट ने यह टिप्पणी की है। इस गिरफ्तारी में मध्य प्रदेश पुलिस छात्र को अपने साथ ले गयी पर कोर्ट में पेश नही किया गया। अदालत के ट्रांजिट आदेश के बगैर ही उसे राज्य से बाहर ले जाया गया। इस गिरफ्तारी में झारखंड पुलिस भी सहयोग कर रही थी।
हाई कोर्ट ने कहा है कि दूसरे राज्य की पुलिस झारखंड से व्यक्ति को पकड़ कर ले गई लेकिन, कस्टडी में लेकर ट्रांजिट परमिट तक नहीं ली गयी। दूसरे राज्य ले जाने के संबंध में कोर्ट का ऑर्डर भी नहीं है। अगर पुलिस को सूचना थी तो जाने कैसे दिया गया। मध्यप्रदेश की पुलिस की गलती जितनी है, उतनी ही गलती मामले में झारखंड पुलिस की भी है। अगर मामला ऐसा था तो सीजीएम कोर्ट में मामले को पेश किया जाता। कोर्ट चाहती को अभियुक्त को बेल देती, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा है कि जानबूझ कर पुलिस ने अभियुक्त को जाने दिया। नीलम चौबे की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह बात कही।
24 नवंबर को मध्य प्रदेश पुलिस ने बोकारो से लॉ के छात्र को गिरफ्तार किया था, लेकिन परिजनों को इसकी पूरी जानकारी नहीं दी गयी। दायर याचिका में कहा गया है कि छात्र की गिरफ्तारी के वक्त पुलिस के पास सिर्फ सर्च वारंट था, जबकि अरेस्ट वारंट अनिवार्य है। वहीं, परिजनों की जगह रिश्तेदार को गिरफ्तारी की जानकारी दी गयी। अधिवक्ता हेमंत शिकरवार ने बताया कि जस्टिस डीके वासु के आदेश का भी पुलिस ने इस दौरान उल्लंघन किया है। जिसमें गिरफ्तारी के वक्त पुलिस को यूनिफॉर्म के साथ आधिकारिक वाहन में होना चाहिये, लेकिन छात्र की गिरफ्तारी के वक्त ऐसा नहीं किया गया।
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