
महाराष्ट्र | केंद्रीय मंत्री और महाराष्ट्र के सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री रह चुके शरद पवार कैंसर को हराकर आज महाराष्ट्र कद्दावर नेता के रूप में जाने जाते हैं। देश की राजनीति में शरद पवार का नाम बड़े राजनेताओं में लिया जाता है,महाराष्ट्र से लेकर सत्ता के केंद्र दिल्ली तक में शरद पवार की राजनीति की हनक महसूस की जाती रही है.
पांच दशकों से ज्यादा समय का राजनीतिक अनुभव रखने वाले पवार की सियासी सफर छात्र राजनीति से शुरू हुआ था. महाराष्ट्र के चार बार मुख्यमंत्री रहे शरद पवार ने केंद्र सरकार में दो बड़े मंत्रालय भी संभाले थे. एनसीपी नेता के सियासी दांव-पेंच और रणनीतियां हमेशा से ही लोगों का ध्यान खींचती रही हैं.
एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने आज बड़ा ऐलान किया है, पवार ने कहा कि वे एनसीपी का अध्यक्ष पद छोड़ देंगे. शरद पवार 1999 में एनसीपी के गठन के वक्त से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. पिछले साल उन्हें चार साल के लिए अध्यक्ष भी चुना गया था. वे 24 साल से इस पद पर थे.
कुछ ऐसा पवार की राजनीति यात्रा
शरद पवार का जन्म 12 दिसंबर, 1940 को हुआ था। पवार ने अपने सियासी सफ़र की शुरुआत कांग्रेस के साथ 1967 में की, 1984 में बारामती से उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव जीता। उन्होंने 20 मई, 1999 को कांग्रेस से अलग होकर 25 मई, 1999 को एनसीपी बनाई, शरद पवार, तारिक अनवर और पीए संगमा ने मिल कर एनसीपी बनाई थी।
ये तीनों पहले कांग्रेस में थे। उनके नाम महाराष्ट्र का सबसे यंग मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड है।1993 में उन्होंने चौथी बार सीएम के पद शपथ ली। अपने राजनीतिक करियर में वे UPA सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। इसके अलावा वे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(BCCI) के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। पवार 2005 से 2008 तक बीसीसीआई के चेयरमैन रहे और 2010 में आईसीसी के प्रेसिडेंट बने। पवार नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के प्रेसिडेंट बने। अपनी राजनीतिक विरासत बेटी सुप्रिया सुले को सौंप चुके हैं। सुप्रिया एनसीपी की टॉप लीडर्स में से एक होने के साथ ही पिछले 3 बार से 2009, 2014 और 2019 में अपनी पिता की सीट बारामती से एमपी हैं।
एक समय ऐसा भी आया जब डॉक्टर्स ने कहा 6 महीने जिंदा रहेंगे पवार
एक प्रोग्राम में पवार ने बताया कि 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें कैंसर का पता चला था। जिसके इलाज के लिए न्यूयॉर्क गए। डॉक्टर्स की सलाह पर उन्हें 36 बार रेडिएशन का ट्रीटमेंट लेना था। यह बहुत दर्दनाक था। सुबह 9 से 2 बजे तक शरद मिनिस्ट्री में काम करते। फिर 2.30 बजे अपोलो हॉस्पिटल में कीमोथेरेपी लेते। दर्द इतना होता था कि घर जाकर सोना ही पड़ता।
इसी दौरान एक डॉक्टर ने उनसे कहा कि जरूरी काम पूरे कर लें। आप सिर्फ 6 महीने और जी सकेंगे। पवार ने डॉक्टर से कहा कि मैं बीमारी की चिंता नहीं करता, आप भी मत करो। पवार ने लोगों को नसीहत दी कि कैंसर से बचना है तो तंबाकू का सेवन तुरंत बंद कर दें।