संसद में चल रहे गतिरोध पर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से कहा कि जब वह बुधवार को सभापति से मिले तो धनखड़ गुस्से में थे। धनखड़ ने मजाकिया जवाब में कहा कि मैं 45 साल से अधिक समय से शादीशुदा आदमी हूं। यकीन मानिए सर, मैं कभी गुस्सा नहीं होता। श्रीमान चिदम्बरम, एक बहुत ही प्रतिष्ठित वरिष्ठ वकील हैं, जानते होंगे कि वरिष्ठ वकील होने के नाते हमें कम से कम प्राधिकारी के सामने गुस्सा दिखाने का कोई अधिकार नहीं है। आप हैं एक अधिकारी, श्रीमान। मैं कभी नाराज नहीं होता, कृपया संशोधित करें। उनकी इस बात पर सदन में हंसी की लहर दौड़ गयी।
जवाब में मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "संभवतः आप अपना गुस्सा नहीं दिखाते। लेकिन आपको गुस्सा आता है।" इस पर सभापति ने हंसते हुए अपनी पत्नी का जिक्र करते हुए कहा, "वह इस सदन की सदस्य नहीं हैं। जो इस सदन का सदस्य नहीं है, हम इस रिश्ते में उस पर चर्चा नहीं कर सकते। अन्यथा, हम चर्चा कर सकते हैं।" मणिपुर में हिंसा के मुद्दे पर चर्चा को लेकर अपने नोटिस के स्वीकार नहीं किए जाने पर बृहस्पतिवार को विपक्षी सदस्यों ने राज्यसभा से बहिर्गमन किया विपक्षी सदस्यों ने सूचीबद्ध कामकाज को स्थगित कर मणिपुर मुद्दे पर चर्चा शुरू करने के लिए नोटिस दिए थे। उच्च सदन की सुबह बैठक शुरू होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए।
इसके बाद उन्होंने कहा कि उन्हें मणिपुर की स्थिति पर चर्चा की मांग के लिए नियम 267 के तहत 37 नोटिस मिले हैं जबकि एक नोटिस मणिपुर और हरियाणा में हिंसा को लेकर और एक महिला आरक्षण को लेकर है। सभापति ने कहा कि मणिपुर मुद्दे पर चर्चा के लिए उन्होंने पहले ही व्यवस्था दी थी और सरकार भी चर्चा के लिए तैयार थी। व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि मणिपुर मुद्दे को लेकर जारी गतिरोध से ऐसा महौल बना है कि अहंकार और घमंड चर्चा की राह में आड़े आ रहे हैं।